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गोराडीह में बादल फटने से झरी गोप की मौत, मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम ने बढ़ाया मदद का हाथ

#गिरिडीह #मानवीयसेवा : मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम ने हादसे की खबर मिलते ही टीम को घटनास्थल भेजा और लौटकर स्वयं पीड़ित परिवार से मिले

गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र के फुलझरिया पंचायत अंतर्गत गोराडीह गाँव में हाल ही में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब बादल फटने और आकाशीय बिजली गिरने से ग्रामीण झरी गोप की असमय मौत हो गई। इस घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और गाँव का माहौल गमगीन हो गया।

ऐसे कठिन समय में समाजसेवा और मानवता की मिसाल पेश करते हुए मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम ने त्वरित कार्रवाई की। वे उस समय दिल्ली में थे और झारखंड निर्माता वीर शिबू सोरेन तथा राज्य के मंत्री हाफिजुल हसन अंसारी से मुलाकात के कार्यक्रम में शामिल थे। लेकिन घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने तत्काल अपने सहयोगियों की एक टीम को राहत कार्य के लिए घटनास्थल भेजा और दिल्ली से लौटते ही खुद गोराडीह पहुँचे।

मुफ़्ती साहब का त्वरित कदम और राहत सामग्री

दिल्ली में व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम ने मानवीय संवेदनशीलता दिखाते हुए राहत सामग्री की तत्काल व्यवस्था करवाई। टीम ने गाँव पहुँचकर राशन, पीने का पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएँ पीड़ित परिवार तक पहुँचाईं। इस दौरान स्थानीय लोगों ने उनके इस मानवीय प्रयास की सराहना की।

मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम ने कहा: “हमारा कर्तव्य है कि संकट की घड़ी में कोई परिवार अकेला न महसूस करे। यह समय एकजुट होकर मदद करने का है।”

पीड़ित परिवार के बीच सहानुभूति और समर्थन

मुफ़्ती साहब दिल्ली से लौटते ही सीधे गोराडीह पहुँचे और मृतक झरी गोप की पत्नी तथा अन्य परिजनों को ढांढस बंधाया। उन्होंने परिवार को भरोसा दिलाया कि समाज के लोग उनके साथ खड़े हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि भोज-भात जैसी सामाजिक परंपराएँ सम्मानपूर्वक पूरी हों। यह कदम प्रभावित परिवार के लिए भावनात्मक सहारा बना।

गाँव में मुफ़्ती साहब के प्रयासों की सराहना

गाँव के लोगों ने मुफ़्ती साहब के कार्यों को सराहते हुए कहा कि आज के समय में ऐसे संवेदनशील लोग ही समाज में आपसी सहयोग और सेवा-भावना को जीवित रखते हैं। उनके आने से न केवल परिवार को आर्थिक मदद मिली बल्कि मनोबल भी बढ़ा।

न्यूज़ देखो: मानवता का सच्चा उदाहरण

यह घटना दिखाती है कि संवेदनशील नेतृत्व और त्वरित प्रतिक्रिया से समाज में विश्वास और एकजुटता की भावना मजबूत होती है। मुफ़्ती मोहम्मद सईद आलम का यह प्रयास सिर्फ राहत सामग्री पहुँचाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहकर सामाजिक जिम्मेदारी निभाई।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

इंसानियत ही असली धर्म है

मुश्किल घड़ी में मदद के लिए आगे बढ़ना ही सच्ची समाजसेवा है। ऐसे प्रयासों को आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और अधिक लोगों तक यह संदेश पहुँचाएँ कि मानवता जिंदा है।

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