झारखंड आंदोलनकारियों को पेंशन और राजकीय सम्मान की मांग तेज, अंतिम उलगुलान की चेतावनी

#रांची #झारखंड_आंदोलन – झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा की समीक्षा बैठक में राज्य सरकार से न्याय की मांग, उत्तराखंड मॉडल अपनाने पर जोर

अंतिम उलगुलान की चेतावनी : आंदोलनकारियों का आक्रोश उभर कर सामने आया

रांची स्थित पुरानी विधानसभा परिसर में झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा की बैठक में राज्य सरकार से राजकीय मान-सम्मान, पेंशन और आंदोलनकारियों को गरिमा पूर्ण जीवन देने की मांग की गई। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि
“हम कोई खैरात नहीं, बल्कि अपने संघर्ष और बलिदान का हक मांग रहे हैं।”
यह बैठक डॉ. रोज केरकेट्टा को नमन और आंदोलनकारी प्रसन्न कुमार दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित कर शुरू की गई।

उत्तराखंड मॉडल की मांग : समानता के अधिकार की बात

संघर्ष मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो और पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि जब उत्तराखंड में सभी आंदोलनकारियों को पेंशन दी जा रही है, चाहे वे जेल गए हों या नहीं, तो झारखंड में ऐसा भेदभाव क्यों?
उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को ही पेंशन का लाभ मिलता है, जबकि अन्य हजारों लोग उपेक्षित हैं। यह स्थिति अस्वीकार्य है।

हेमंत सरकार से न्याय की आस

सीपीआई नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि यदि राज्य में शिबू सोरेन लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहते, तो अब तक आंदोलनकारियों की मांगें पूरी हो चुकी होतीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब हेमंत सोरेन सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाएगी और उचित निर्णय लेगी।

प्रमुख आंदोलनकारी नेताओं की उपस्थिति

इस समीक्षा बैठक में कांग्रेस नेता शशिभूषण राय, मोर्चा अध्यक्ष विदेशी महतो, उपाध्यक्ष इजहार राही समेत राज्य भर से सैकड़ों आंदोलनकारी शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि
“अब अंतिम उलगुलान का समय है, अगर सरकार ने अनदेखी की तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”

आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें : अधिकार नहीं तो आंदोलन

न्यूज़ देखो : आंदोलन की हर लहर पर पैनी नज़र

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हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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