#रांची #विधानसभा : श्रद्धांजलि सभा के बाद वित्तीय प्रस्तावों पर केंद्रित रहा पहला दिन
- झारखंड विधानसभा में 4296 करोड़ 62 लाख रुपये का प्रथम अनुपूरक बजट पेश।
- वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विवरण प्रस्तुत किया।
- सदन की शुरुआत शोक प्रकाश से हुई, शिबू सोरेन सहित कई दिवंगतों को श्रद्धांजलि।
- कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दोपहर दो बजे तक का समय निर्धारित।
- सत्र में विधायी कार्यों और बजटीय मुद्दों पर गहन बहस जारी रहेगी।
झारखंड विधानसभा के मॉनसून पूरक सत्र की शुरुआत आज रांची में शोक और संवेदनाओं के साथ हुई। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गुरुजी शिबू सोरेन, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। सदन ने मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सरयू राय ने भी शिबू सोरेन को भावपूर्ण शब्दों में याद किया।
अनुपूरक बजट का प्रस्तुतीकरण
सत्र के दौरान वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 4296 करोड़ 62 लाख रुपये का प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण सदन में पेश किया। इस बजट में राज्य की विभिन्न विकास योजनाओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रावधान किए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने जानकारी दी कि कटौती प्रस्तावों पर चर्चा के लिए दोपहर दो बजे तक समय निर्धारित किया गया है।
श्रद्धांजलि के साथ शुरुआत
सत्र की शुरुआत ही शोक प्रकाश से हुई, जिसने पूरे सदन को भावुक कर दिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन का निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है। वहीं शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह को भी श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए।
आगे का एजेंडा
पूरक बजट के अलावा इस सत्र में कई विधायी प्रस्तावों और राज्यहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी। सरकार और विपक्ष के बीच विभिन्न विषयों पर तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है।
न्यूज़ देखो: झारखंड की नीतियों की दिशा तय करेगा यह सत्र
यह सत्र महज बजट प्रस्तुतीकरण तक सीमित नहीं है बल्कि आने वाले महीनों में राज्य की नीतियों और प्राथमिकताओं को दिशा देगा। विपक्ष की ओर से सरकार की योजनाओं पर सवाल उठना तय है, वहीं सरकार अपनी उपलब्धियों और विकास कार्यक्रमों पर जोर देने की कोशिश करेगी।
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लोकतंत्र को मजबूत करने का अवसर
मॉनसून सत्र लोकतंत्र की उस प्रक्रिया का हिस्सा है जहां जनता की अपेक्षाएं और सवाल सदन में उठते हैं। अब समय है कि सरकार और विपक्ष दोनों ही मिलकर रचनात्मक बहस के जरिए राज्य के विकास का मार्ग प्रशस्त करें।
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