झारखंड चुनावी जंग: भाजपा और JMM के बीच कांटे की टक्कर

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झारखंड विधानसभा चुनाव के ताजा रुझान बेहद दिलचस्प मोड़ पर हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। BJP ने 26 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि JMM ने 31 सीटों पर बढ़त दर्ज की है। कांग्रेस ने 14 सीटों पर बढ़त के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, जबकि छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार बहुत कम सीटों पर प्रभावी नजर आ रहे हैं।

गढ़वा और पलामू क्षेत्र में चुनावी समीकरण

झारखंड के गढ़वा और पलामू जिलों की सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। ये क्षेत्र राजनीतिक रूप से अहम माने जाते हैं, जहां BJP और JMM के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।


अन्य प्रमुख सीटें और बड़े नेता

  1. बरहेट (हेमंत सोरेन):
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गैमलिएल हेम्ब्रोम (BJP) पर 14,772 वोटों की बढ़त बनाई है। यह सीट JMM के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, और सोरेन की जीत गठबंधन की दिशा तय करेगी।
  2. धनवार (बाबूलाल मरांडी):
    BJP के दिग्गज नेता बाबूलाल मरांडी ने JMM के निज़ामुद्दीन अंसारी पर 11,543 वोटों की बढ़त बनाई है। मरांडी की यह जीत BJP के लिए राज्य स्तर पर बड़ा संदेश होगी।
  3. चाईबासा (दीपक बिरुआ):
    JMM के दीपक बिरुआ ने BJP की गीता बालमुचू पर 30,028 वोटों की बड़ी बढ़त बनाई है। यह सीट JMM का गढ़ मानी जाती है।
  4. बरकागांव (रोशन लाल चौधरी):
    कांग्रेस की अंबा प्रसाद को BJP के रोशन लाल चौधरी ने 22,291 वोटों से पीछे छोड़ दिया है। यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होती जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषण

गढ़वा और पलामू जिलों की सीटों पर BJP और JMM के बीच सीधी लड़ाई का असर पूरे राज्य पर पड़ सकता है। बिश्रामपुर, डाल्टनगंज, गढ़वा, भवनाथपुर, और पांकी जैसी सीटें सत्ता समीकरणों में निर्णायक साबित हो सकती हैं।

इस बार BJP ने अपनी रणनीति बदलकर मजबूत प्रदर्शन किया है, लेकिन JMM और गठबंधन ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाई है। हेमंत सोरेन की सरकार को चुनौती देने के लिए BJP ने बाबूलाल मरांडी जैसे चेहरों पर दांव लगाया है।

नतीजे का इंतजार अब पूरे राज्य के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा। गढ़वा और पलामू क्षेत्र की स्थिति सत्ता के निर्णायक समीकरण में अहम भूमिका निभा सकती है।


झारखंड में चुनावी जंग का यह दौर बेहद रोमांचक है। रुझान तो सामने आ रहे हैं, लेकिन अंतिम नतीजे मतगणना खत्म होने के बाद ही तय करेंगे कि राज्य की राजनीति किस दिशा में जाएगी।

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