
पलामू गढ़वा। झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री, झारखंड आंदोलनकारी और घाटशिला विधानसभा के विधायक रामदास सोरेन का आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनमानस तक हर कोई स्तब्ध और दुःखी है।
रामदास सोरेन को हमेशा उनके “सादा जीवन, उच्च विचार” की जीवनशैली के लिए जाना जाता था। झारखंड आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और आदिवासी समाज के हक-अधिकारों के लिए किए गए संघर्ष को लोग आज भी याद करते हैं। वे हमेशा जनहित को प्राथमिकता देने वाले सरल स्वभाव के नेता के रूप में पहचाने जाते थे।
निधन की खबर मिलते ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की जा रही हैं। नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आमजन बड़ी संख्या में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
पलामू जिला अंतर्गत पांडू प्रखंड की प्रमुख नीतू सिंह ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “रामदास सोरेन जी का जीवन युवाओं और समाज के लिए एक प्रेरणा है। उनका जाना झारखंड की राजनीति और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।”
वहीं, झारखंड प्रदेश सहायक अध्यापक महासंघ के प्रदेश महासचिव प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू सिंह) ने अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को इस गहन दुःख को सहने की शक्ति दें।”
झामुमो के नेताओं का कहना है कि रामदास सोरेन की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। उनका जीवन और विचारधारा आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देती रहेगी।
दिवंगत मंत्री के प्रति लोगों की भावनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि जनता के सच्चे सेवक थे।