Latehar

झारखंड वन श्रमिकों की चेतावनी — 29 जुलाई को होगा जोरदार धरना प्रदर्शन अगर मांगे नहीं मानी गईं

Join News देखो WhatsApp Channel
#बरवाडीह #यूनियन_बैठक: बेतला में हुई बैठक में तय हुआ आंदोलन का रास्ता — 28 जुलाई तक मांग नहीं मानी गई तो होगा विरोध प्रदर्शन
  • झारखंड वन श्रमिक यूनियन ने बेतला में की बैठक, 6 सूत्रीय मांगों पर नहीं हुई कार्रवाई
  • अधिकारियों को 10 जुलाई को सौंपा गया था मांग पत्र, अब तक नहीं मिला कोई जवाब
  • 28 जुलाई तक मांगें नहीं मानी गईं तो 29 जुलाई को डालटनगंज में होगा धरना
  • यूनियन ने चेताया — प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी
  • बैठक में यूनियन के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव समेत बड़ी संख्या में पदाधिकारी रहे मौजूद

बेतला में जुटे वन श्रमिक — मांगें अनसुनी, अब आंदोलन की तैयारी

लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत बेतला में रविवार को झारखंड वन श्रमिक यूनियन की अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता यूनियन के अध्यक्ष सिद्धिनाथ झा ने की और इसमें राज्य भर से यूनियन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैठक का मुख्य एजेंडा 10 जुलाई को मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, पलामू व्याघ्र परियोजना, डालटनगंज कार्यालय में सौंपे गए 6 सूत्रीय मांग पत्र पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने को लेकर था। यूनियन पदाधिकारियों ने गहरी नाराजगी जताई और आंदोलन का ऐलान किया।

6 सूत्रीय मांगें अनदेखी, अब होगा आंदोलन

बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि अगर 28 जुलाई 2025 तक विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो 29 जुलाई को मुख्य वन संरक्षक कार्यालय डालटनगंज में धरना प्रदर्शन किया जाएगा

यूनियन अध्यक्ष सिद्धिनाथ झा ने कहा: “हमने समय पर अपनी मांगे रखीं थीं। अब अगर हमारी आवाज़ नहीं सुनी गई तो आंदोलन तय है। इस धरना प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी विभाग के अधिकारियों की होगी।”

यूनियन प्रतिनिधियों ने एकजुटता दिखाई

बैठक में यूनियन के उपाध्यक्ष सुधीर कुमार तिवारी, संयुक्त सचिव मुकुट स्टेफन तिर्की, क्षेत्रीय मंत्री बेनेदिक लकड़ा, सुरेंद्र मेहता, ललित उरांव, मनोज कुमार पासवान, जीतवाहन सिंह, फैज अहमद, अशोक सिंह, सुनीता देवी, निर्मल सिंह, सुरेंद्र कुमार समेत कई सदस्य उपस्थित रहे।

सभी ने यूनियन की एकजुटता को रेखांकित करते हुए कहा कि श्रमिकों के अधिकारों के लिए अब आर-पार की लड़ाई होगी

यूनियन का सख्त रुख — अब नहीं रुकेगा आंदोलन

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि 29 जुलाई को भी प्रशासन ने टालमटोल की नीति अपनाई, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर विस्तारित किया जाएगा। यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि अब श्रमिकों की आवाज़ को अनसुना नहीं किया जाएगा।

न्यूज़ देखो: वन श्रमिकों की आवाज़ बनता संघर्ष

न्यूज़ देखो का मानना है कि विभागीय अनदेखी और देरी के कारण झारखंड के वन श्रमिकों को धरना प्रदर्शन जैसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रशासन को चाहिए कि संवेदनशीलता दिखाते हुए समय रहते समाधान निकाले, ताकि संघर्ष और टकराव की स्थिति से बचा जा सके

वन क्षेत्रों में श्रमिकों की भूमिका पर्यावरण संरक्षण से लेकर वन सुरक्षा तक अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनकी अनदेखी केवल श्रमिकों ही नहीं, बल्कि पूरे वन क्षेत्र के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना जरूरी

अगर आप झारखंड के वन श्रमिकों की मांगों को जायज़ मानते हैं, तो इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। टिप्पणियों के माध्यम से अपनी राय रखें और प्रशासन को जवाबदेह बनने के लिए प्रेरित करें

आपकी सजगता से ही होगा बदलाव।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 4.5 / 5. कुल वोट: 2

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
1000264265
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250925-WA0154
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

Back to top button
error: