Dumka

झारखंड स्थापना दिवस 2025: दुमका में स्ट्रीट डांस कार्यक्रम हुआ फीका, दर्शक रहे नदारद

#दुमका #सांस्कृतिक_कार्यक्रम : झारखंड स्थापना दिवस पर आयोजित स्ट्रीट डांस कार्यक्रम में कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी, लेकिन दर्शकों की उपस्थिति नगण्य रही
  • दुमका में स्ट्रीट डांस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
  • स्थानीय कलाकारों ने नगाड़ों और पारंपरिक वाद्यों के साथ आदिवासी नृत्यों की प्रस्तुति दी।
  • मैदान में दर्शक लगभग अनुपस्थित रहे।
  • कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बने प्रशिक्षु IAS अधिकारी, जिन्होंने मोबाइल में कार्यक्रम को रिकॉर्ड किया।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत जीवंत की गई।

झारखंड स्थापना दिवस 2025 के अवसर पर दुमका में आयोजित स्ट्रीट डांस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए झारखंड की समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक लोक नृत्यों को सजीव किया। कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा पहनकर नगाड़ों की थाप और ढोल की धुन पर नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बावजूद, दर्शकों की उपस्थिति नगण्य रही और अधिकांश जगहें खाली रही, जिससे कार्यक्रम का उत्साह अपेक्षित रूप से कम दिखा।

कार्यक्रम का आयोजन

कार्यक्रम का उद्देश्य झारखंड की विविध सांस्कृतिक पहचान को प्रदर्शित करना और युवाओं में लोक संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। स्थानीय कलाकारों ने आदिवासी नृत्यों और पारंपरिक गीतों के माध्यम से राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया। नगाड़ों और झांझ की थाप के साथ नृत्य के रंगीन प्रदर्शन ने उपस्थित अधिकारियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

एक प्रशिक्षु IAS अधिकारी ने कहा: “मैं झारखंड की सांस्कृतिक विविधता को कैमरे में कैद कर रहा हूँ, ताकि इसे आगे भी देखा और सराहा जा सके।”

दर्शक शून्यता और प्रतिक्रिया

सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थानीय जनता का उत्साह कम दिखाई दिया। आयोजकों ने दर्शकों की अनुपस्थिति को लेकर चिंता जताई, क्योंकि इस तरह की प्रस्तुतियां समाज में सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने का माध्यम होती हैं। कार्यक्रम का वातावरण मुख्य रूप से अधिकारियों और कुछ उपस्थित व्यक्तियों तक ही सीमित रहा।

न्यूज़ देखो: सांस्कृतिक आयोजनों में जनभागीदारी की कमी

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सफलता केवल कलाकारों की प्रतिभा पर नहीं बल्कि समाज में जागरूकता और सहभागिता पर निर्भर करती है। जनभागीदारी में कमी ऐसे आयोजनों के वास्तविक प्रभाव को कम कर देती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सांस्कृतिक चेतना और सक्रिय नागरिकता

सांस्कृतिक कार्यक्रम केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक शिक्षा का जरिया भी हैं। सभी नागरिकों को चाहिए कि वे ऐसे आयोजनों में भाग लें और लोक संस्कृति को सम्मान दें। अपनी राय साझा करें, इस खबर को दूसरों तक पहुंचाएं और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाने में योगदान दें।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20251223-WA0009
1000264265
IMG-20251227-WA0006
IMG-20250925-WA0154
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250604-WA0023 (1)
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Saroj Verma

दुमका/देवघर

Related News

Back to top button
error: