
#चंदवा #स्थापनादिवस : बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ स्थापना दिवस का भव्य आयोजन।
- गुरीटांड़ में झारखंड स्थापना दिवस का उत्साहपूर्ण आयोजन।
- मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री बैजनाथ राम ने की उपस्थिति।
- मंच संचालन झामुमो जिला उपाध्यक्ष सितमोहन मुंडा ने संभाला।
- स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति।
- पारंपरिक खोड़हा मंडली के प्रदर्शन ने मन मोहा।
चंदवा, लातेहार। चंदवा प्रखंड के गुरीटांड़ में शनिवार को झारखंड स्थापना दिवस अत्यंत उत्साह और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत धरती आबा बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गई, जिसके साथ ही पूरे क्षेत्र में उत्सव की भावना और ऊर्जा का संचार हो गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व मंत्री बैजनाथ राम मौजूद रहे, जबकि मंच संचालन की जिम्मेदारी झामुमो जिला उपाध्यक्ष सितमोहन मुंडा ने बखूबी निभाई।
स्थानीय ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, जिससे आयोजन स्थल पूरी तरह खचाखच भरा रहा। वक्ताओं ने झारखंड राज्य के गठन के उद्देश्यों, संघर्षों और झारखंडी अस्मिता की रक्षा में आम जनता की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
विकास और एकता के लिए मिलकर कार्य करने की अपील
अपने संबोधन में पूर्व मंत्री बैजनाथ राम ने कहा कि “झारखंड की असली पहचान इसकी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक संपदा और मेहनतकश जनता है।” उन्होंने आगे कहा कि राज्य के विकास और सामाजिक एकता को मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए। उनके वक्तव्य ने उपस्थित लोगों में नई ऊर्जा और सकारात्मक भावना जगाई।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां
समारोह का सबसे आकर्षक हिस्सा रहा स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक नृत्य और गीत, जिनमें खोड़हा मंडली की प्रस्तुति को दर्शकों से विशेष प्रशंसा मिली। उनकी मनमोहक प्रस्तुति के लिए मुख्य अतिथि ने मंडली को सम्मानित भी किया। दर्शकों की निरंतर तालियाँ कलाकारों की मेहनत और कौशल का प्रमाण रहीं।
सामूहिक राज्य गीत के साथ समापन
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थितजन एक साथ खड़े होकर झारखंड राज्य गीत का सामूहिक गायन किया। इसके साथ स्थापना दिवस समारोह का औपचारिक समापन हुआ और लोगों ने एक-दूसरे को झारखंड स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ दीं।

न्यूज़ देखो: पहचान, परंपरा और जनभागीदारी झारखंड की असली शक्ति
स्थापना दिवस का यह आयोजन याद दिलाता है कि झारखंड की अस्मिता उसके लोगों, संस्कृति और संघर्षों में बसती है। जनभागीदारी और सामूहिक प्रयास राज्य के विकास की सबसे बड़ी ताकत हैं।
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संस्कृति से विकास की ओर
सांस्कृतिक एकता ही मजबूत समाज की नींव है। आइए, अपनी परंपरा और पहचान को सहेजते हुए राज्य के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएँ। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि जागरूकता और बढ़े।











