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झारखंड सरकार ने मंत्रियों को सौंपे नए प्रभार, रामदास सोरेन का स्वास्थ्य ठीक हो जाने तक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सुदिव्य सोनू के पास

#रांची #CabinetUpdate : स्वास्थ्य कारणों से रामदास सोरेन की अनुपस्थिति में हुआ बड़ा बदलाव

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के बीच सरकार ने विधायी कार्यों के सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव किया है। स्वास्थ्य कारणों से अस्थायी अनुपस्थिति में रहने वाले स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन की जिम्मेदारियों को अन्य मंत्रियों के बीच बांटा गया है।

सुदिव्य सोनू को मिली शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी

अधिसूचना के अनुसार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से जुड़ी सभी विधायी कार्यवाहियां—जैसे प्रश्नोत्तर, ध्यानाकर्षण, विधेयक और याचिकाएं—अब मंत्री सुदिव्य सोनू संभालेंगे। यह बदलाव केवल तब तक प्रभावी रहेगा जब तक रामदास सोरेन स्वास्थ्य कारणों से कार्यभार नहीं संभाल लेते।

दीपक बिरुआ को अतिरिक्त चार विभागों का विधायी प्रभार

इसके अलावा, अधिसूचना के मुताबिक, मंत्री दीपक बिरुआ को उनके मौजूदा दायित्वों के साथ-साथ निबंधन विभाग, विधि विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग की विधायी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

अधिसूचना में कहा गया: “माननीय मुख्यमंत्री के प्रभाराधीन विभागों सहित, संबंधित प्रश्नों और विधायी कार्यों के लिए ये प्राधिकरण तत्काल प्रभाव से लागू होगा।”

आदेश की कानूनी स्थिति

यह आदेश मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (संसदीय कार्य) की ओर से संख्या मं.म.स. 05/विधायी कार्य सत्र-08/2019 1010, दिनांक 02 अगस्त 2025 को जारी किया गया। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि पूर्व अधिसूचना संख्या-947 (22 जुलाई 2025) को इस सीमा तक संशोधित माना जाए।

क्यों किया गया बदलाव?

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र जारी है और इस दौरान विधायी कार्यों में देरी न हो, इसके लिए सरकार ने त्वरित कदम उठाया। सरकार का उद्देश्य सत्र की निरंतरता बनाए रखना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

न्यूज़ देखो: विधायी कार्यों में निरंतरता की पहल

इस अधिसूचना से स्पष्ट होता है कि सरकार ने संसदीय प्रक्रियाओं को बाधित न होने देने के लिए त्वरित और व्यावहारिक निर्णय लिया है। यह कदम न केवल प्रशासनिक तत्परता का संकेत है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनता की भागीदारी से ही मजबूत होगी लोकतंत्र की जड़ें

आप इस बदलाव को कैसे देखते हैं? क्या यह निर्णय विधानसभा सत्र की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करेगा? अपनी राय कमेंट में बताएं और इस खबर को अधिक से अधिक साझा करें।

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