
#रांची #स्वास्थ्यव्यवस्था : मंत्री की मां पटना में भर्ती होने से झारखंड के अस्पतालों पर भरोसे पर सवाल
- स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी की मां की तबीयत अचानक बिगड़ी।
- पटना के मेदांता अस्पताल में कराया गया भर्ती।
- झारखंड के अस्पतालों की स्थिति पर गंभीर सवाल उठे।
- मंत्री समेत कई नेता इलाज के लिए राज्य से बाहर जाते हैं।
- जनता में नाराजगी और अविश्वास की लहर।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी की मां की तबीयत रविवार, 10 अगस्त 2025 की रात गंभीर रूप से बिगड़ गई। उन्हें तत्काल पटना के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंत्री जी की मां के शीघ्र स्वस्थ होकर घर लौटने की प्रार्थनाएं कई लोगों ने की हैं। लेकिन यह घटना एक बार फिर झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक स्थिति पर सवाल खड़े करती है। जब राज्य के उच्च पदस्थ नेता और मंत्री अपने या अपने परिजनों का इलाज झारखंड के अस्पतालों में कराने के बजाय पटना, दिल्ली, वेल्लोर, चेन्नई, हैदराबाद या विदेश में कराने जाते हैं, तो जनता का विश्वास स्थानीय स्वास्थ्य ढांचे पर कैसे बना रह सकता है?
मंत्री और नेताओं का राज्य से बाहर इलाज का ट्रेंड
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी मंत्री या बड़े नेता ने अपने परिवारजन के इलाज के लिए झारखंड के अस्पतालों को छोड़कर राज्य से बाहर का रुख किया हो। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें नेताओं ने गंभीर या मामूली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी अत्याधुनिक निजी अस्पतालों को चुना। यह रुझान यह संदेश देता है कि या तो उन्हें झारखंड के स्वास्थ्य ढांचे की क्षमता पर भरोसा नहीं है, या फिर यहां की व्यवस्था भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से इतनी प्रभावित है कि भरोसा करना मुश्किल हो गया है।
जनता का भरोसा कैसे कायम होगा?
जब खुद स्वास्थ्य मंत्री के परिवार को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है, तो आम जनता का यह मानना स्वाभाविक है कि राज्य के अस्पतालों में जरूरी सुविधाएं, उपकरण और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। यही कारण है कि लोग कहते हैं, अगर मंत्रीगण को भी यहां भरोसा नहीं, तो 4 करोड़ झारखंडियों से भरोसा करने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इसे सरकार की नाकामी करार दिया है। कुछ का कहना है कि अगर सरकार समय रहते स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं करती, तो जनता के धैर्य का बांध टूट जाएगा।
स्थानीय कार्यकर्ता का बयान: “थोड़ी भी शर्म अगर सरकार में बची है, तो समय रहते अस्पतालों को बेहतर बनाना चाहिए। वर्ना जनता बदलाव के लिए तैयार बैठी है।”
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का ऐलान
स्थानीय कार्यकर्ताओं ने एक नए संगठन – झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा – के गठन का भी ऐलान किया है, जिसका उद्देश्य राज्य में हर क्षेत्र में संतुष्टिजनक व्यवस्था लागू करना है। उनका दावा है कि आने वाले वर्षों में यह संगठन इतना मजबूत होगा कि जनता की आवाज़ को सत्ता तक पहुंचाएगा और भ्रष्ट सिस्टम को खत्म करेगा।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठते भरोसे के सवाल
यह घटना सिर्फ एक मंत्री के परिवार से जुड़ी नहीं, बल्कि पूरे राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। अगर जनता और नेता दोनों का भरोसा इस व्यवस्था से उठ रहा है, तो यह गंभीर चेतावनी है। झारखंड सरकार के पास अभी भी समय है कि वह व्यवस्था में सुधार लाए, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बदलाव का समय, जागरूकता का दौर
अब वक्त है कि हम सभी मिलकर अपने राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की मांग करें। आपकी राय और जागरूकता ही इस बदलाव की सबसे बड़ी ताकत है। इस खबर पर अपनी राय कॉमेंट में बताएं और इसे अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर करें, ताकि बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए आवाज़ और बुलंद हो।