
#देवघर #न्यायिक_दौरा : उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आगमन से प्रशासनिक और न्यायिक हलकों में सक्रियता।
झारखंड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश राजेश कुमार का 17 दिसंबर 2025 को देवघर आगमन हुआ। उनके आगमन पर जिला प्रशासन और न्यायपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने औपचारिक स्वागत किया। यह दौरा न्यायिक मर्यादा, प्रशासनिक समन्वय और संस्थागत संवाद के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। न्यायाधीश के आगमन को लेकर जिले में प्रशासनिक स्तर पर सभी आवश्यक तैयारियां की गई थीं।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजेश कुमार का देवघर आगमन।
- 17 दिसंबर 2025 को हुआ औपचारिक स्वागत।
- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कौशल किशोर झा रहे उपस्थित।
- डीसी नमन प्रियेश लकड़ा और डीसी सौरभ ने बुके भेंट किया।
- न्यायिक, प्रशासनिक और पुलिस पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल।
- पूरे आयोजन में अनुशासन और सौहार्द का माहौल।
झारखंड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश राजेश कुमार के देवघर आगमन को लेकर बुधवार को जिला मुख्यालय में विशेष प्रशासनिक और न्यायिक गतिविधियां देखी गईं। उनके आगमन के अवसर पर न्यायिक गरिमा और प्रशासनिक मर्यादा के अनुरूप औपचारिक स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन तथा न्यायपालिका के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।
देवघर आगमन के साथ ही न्यायाधीश राजेश कुमार का स्वागत प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कौशल किशोर झा, उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा एवं उपायुक्त सौरभ द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया। स्वागत के दौरान सभी अधिकारियों ने शालीनता एवं औपचारिकता के साथ न्यायिक परंपराओं का पालन किया।
न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति
स्वागत कार्यक्रम में जिले के अन्य न्यायाधीशों के साथ-साथ विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारी, दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी भी मौजूद रहे। सभी अधिकारियों की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि न्यायपालिका और जिला प्रशासन के बीच समन्वय और सहयोग को कितना महत्व दिया जाता है।
कार्यक्रम का संचालन पूर्णतः शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण में किया गया। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा पहले से ही सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थीं।
न्यायपालिका और प्रशासन के बीच समन्वय की झलक
न्यायाधीश राजेश कुमार के देवघर आगमन के दौरान यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला कि न्यायपालिका और जिला प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल किस प्रकार स्थापित किया जाता है। इस तरह के औपचारिक दौरों से न केवल प्रशासनिक संवाद मजबूत होता है, बल्कि न्यायिक प्रणाली के सुचारू संचालन में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने न्यायाधीश के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा, यातायात, प्रोटोकॉल और अन्य व्यवस्थाओं को समय पर पूरा किया। पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क नजर आया और सभी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए रखी।
देवघर जैसे धार्मिक जिले में न्यायिक दौरे का महत्व
देवघर न केवल एक प्रशासनिक जिला है, बल्कि यह देश-विदेश में अपनी धार्मिक पहचान के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का आगमन जिले के लिए विशेष महत्व रखता है। न्यायिक और प्रशासनिक दृष्टि से यह दौरा जिले की कार्यप्रणाली, कानून-व्यवस्था और संस्थागत व्यवस्थाओं के लिए प्रेरणादायक माना जा रहा है।
न्यायाधीश के आगमन से जिले के न्यायिक अधिकारियों में भी उत्साह देखा गया। इस अवसर को न्यायिक व्यवस्था की मजबूती और पारदर्शिता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
प्रशासनिक तैयारियां रहीं चाक-चौबंद
न्यायाधीश के देवघर आगमन को लेकर जिला प्रशासन ने पहले से ही सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली थीं। प्रोटोकॉल के अनुसार स्वागत, सुरक्षा व्यवस्था, आवागमन और अन्य व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित किया गया था। किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो, इसके लिए संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए थे।
कार्यक्रम के दौरान पूरे परिसर में अनुशासन और शांति बनी रही। यह जिला प्रशासन की कार्यकुशलता और अनुभव को दर्शाता है।
न्यायिक मर्यादा और संस्थागत सम्मान
इस अवसर पर यह भी देखने को मिला कि न्यायिक पद की गरिमा और संस्थागत सम्मान को किस प्रकार प्राथमिकता दी जाती है। स्वागत कार्यक्रम न तो औपचारिकता से अधिक था और न ही कम, बल्कि यह न्यायपालिका की परंपराओं के अनुरूप संतुलित और मर्यादित रहा।
न्यायाधीश राजेश कुमार के आगमन से न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संवाद का एक सकारात्मक वातावरण बना, जो भविष्य में भी सहयोग और समन्वय को मजबूती प्रदान करेगा।
जिले में बढ़ी प्रशासनिक सक्रियता
न्यायाधीश के आगमन को लेकर जिले के प्रशासनिक और न्यायिक हलकों में विशेष सक्रियता देखी गई। अधिकारी अपने-अपने दायित्वों को लेकर सतर्क नजर आए और सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से पूरे किए गए।
इस तरह के दौरे न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की समीक्षा का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनने की प्रेरणा भी देते हैं।

न्यूज़ देखो: न्यायिक गरिमा और प्रशासनिक समन्वय का उदाहरण
माननीय न्यायाधीश राजेश कुमार का देवघर आगमन यह दर्शाता है कि न्यायपालिका और जिला प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल किस तरह स्थापित किया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं सराहनीय रहीं। ऐसे दौरों से संस्थागत विश्वास और कार्यक्षमता दोनों मजबूत होती हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र की मजबूती न्यायिक संस्थानों से
न्यायपालिका का सम्मान और प्रशासनिक जिम्मेदारी लोकतंत्र की नींव है। ऐसे अवसर हमें कानून, अनुशासन और संस्थागत मूल्यों के महत्व को समझने का मौका देते हैं। अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में योगदान दें।





