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झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: जनहित याचिकाओं पर सख्ती से लगाम, अब निजी स्वार्थ नहीं चलेगा

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#रांची #हाइकोर्ट_निर्णय : अदालत ने 10 कड़े मानदंड तय कर जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर लगाया अंकुश
  • झारखंड हाईकोर्ट ने पीआईएल के दुरुपयोग पर सख्त निर्देश जारी किए।
  • सुनवाई के लिए 10 मानदंड अनिवार्य किए गए।
  • निजी लाभ, राजनीतिक उद्देश्य, बदनाम करने की मंशा पर रोक।
  • झूठी व भ्रामक याचिकाओं पर अदालत करेगी सख्त कार्रवाई
  • पीआईएल की मूल भावना—जनहित की रक्षा—को सर्वोच्च महत्व।

झारखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाओं (PIL) के दायर होने के तरीके और उनके उद्देश्य को लेकर ऐतिहासिक एवं मार्गदर्शक फैसला सुनाया है। हाल के वर्षों में जनहित के नाम पर निजी लाभ, राजनीतिक उद्देश्य, व्यक्तिगत प्रतिशोध और ब्लैकमेलिंग के मामलों में वृद्धि को देखते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि अब कोई भी व्यक्ति पीआईएल को निजी हथियार की तरह उपयोग नहीं कर पाएगा। अदालत ने ऐसे दुरुपयोग को रोकने के लिए 10 कड़े मानदंड तय किए हैं, जिनके आधार पर यह तय होगा कि कौन-सी याचिका वास्तव में जनहित में है और कौन-सी स्वार्थ से प्रेरित।

हाईकोर्ट के 10 अनिवार्य मानदंड

पीआईएल केवल तभी स्वीकार होगी जब याचिकाकर्ता का उद्देश्य पूर्णतः जनहित से जुड़ा हो, उसके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले छिपाए न गए हों और प्रस्तुत दस्तावेज विश्वसनीय हों। साथ ही अदालत ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य, निजी प्रतिशोध या सुर्खियाँ बटोरने के मकसद से दायर पीआईएल पर अब तुरंत रोक लगेगी। अदालत के अनुसार पीआईएल एक पवित्र मंच है और इसका इस्तेमाल केवल तब होना चाहिए जब प्रभावित लोग अपनी रक्षा में असमर्थ हों और सरकारी तंत्र में स्पष्ट अव्यवस्था दिखाई दे।

न्यायालय का सख्त रुख

हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत का मंच किसी भी व्यक्ति के लिए ब्लैकमेलिंग का साधन नहीं बन सकता। झूठी, भ्रामक या गलत मंशा से दायर याचिकाओं को न सिर्फ खारिज किया जाएगा, बल्कि ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। अदालत का मानना है कि जनहित की रक्षा करना उसका संवैधानिक दायित्व है, लेकिन इसके नाम पर धोखा, राजनीतिक लाभ और निजी लड़ाइयाँ स्वीकार्य नहीं।

क्यों ज़रूरी था यह फैसला?

पिछले कुछ वर्षों में पीआईएल का उपयोग कम और दुरुपयोग अधिक होता दिखा। लोग अपनी निजी शिकायतें जनहित बताकर अदालत में ला रहे थे, राजनीतिक प्रतिशोध साध रहे थे और मीडिया में सुर्खियाँ पाने के लिए पीआईएल दायर कर रहे थे। ऐसे हालात में अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा और अब इस फैसले के बाद पीआईएल की पवित्रता को संरक्षण मिलेगा।

जनहित के नाम पर अब नहीं चलेगा खेल

इस आदेश के बाद केवल वही पीआईएल सुनी जाएगी जो सच्ची, निष्पक्ष और प्रामाणिक रूप से जनता के हित से जुड़ी हो। यह फैसला न्यायपालिका की गरिमा, जनहित की मूल भावना और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत बनाने वाला माना जा रहा है।

न्यूज़ देखो: जनहित की असली परिभाषा—सत्य, निष्पक्षता और पारदर्शिता

जनहित याचिकाओं की मर्यादा बची रहेगी तभी न्यायपालिका जनता के हितों की रक्षा पूरी ताकत से कर पाएगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनहित की सुरक्षा—न्यायपालिका की सर्वोच्च प्राथमिकता

अब समय है कि हम सब न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखें और जनहित की आवाज़ को मजबूत करें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि जागरूकता का प्रसार हो सके।

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Braj Snehi

रांची

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