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झारखंड के 48 नगर निकायों में पिछड़े वर्गों को आरक्षण: ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी

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  • 15 जिलों में ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया 15 जनवरी को पूरी हुई।
  • 6 जिलों में 90-95% काम संपन्न।
  • रांची समेत 3 जिलों में 70% तक सर्वे कार्य पूरा।
  • नगर निकाय चुनाव लंबे समय से रुके हुए थे।
  • झारखंड हाई कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए 4 महीने का समय दिया।

ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया: क्या है और क्यों जरूरी?

झारखंड के नगर निकायों में पिछड़े वर्गों को आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया लागू की गई है। यह प्रक्रिया पिछड़े वर्गों की वास्तविक स्थिति और उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति का गहन विश्लेषण करने के लिए की जाती है।

इस प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण शामिल हैं:

  • सामाजिक-आर्थिक सर्वे: जिसमें पिछड़े वर्गों की जनसंख्या, उनकी आय और सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
  • आंकड़ों का विश्लेषण: जिन जातियों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, उनकी पहचान की जाती है।
  • आरक्षण का निर्धारण: प्राप्त आंकड़ों के आधार पर आरक्षण का अंतिम प्रारूप तैयार किया जाता है।

जिलों में सर्वेक्षण की प्रगति

झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने बताया कि 15 जिलों में से छह जिलों—चतरा, रामगढ़, दुमका, देवघर, सरायकेला-खरसावां और गढ़वा में 90-95% तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। इन जिलों में घर-घर जाकर जातियों और उनकी स्थिति का मूल्यांकन किया गया।

वहीं रांची, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम जैसे बड़े जिलों में यह कार्य अभी 70% तक ही पूरा हो पाया है। इन जिलों की बड़ी जनसंख्या और जटिल सामाजिक संरचना को देखते हुए सर्वेक्षण में अपेक्षाकृत अधिक समय लगा है।

नगर निकाय चुनाव पर असर

ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया का पूरा होना नगर निकाय चुनाव के लिए बेहद अहम है। झारखंड में पिछले कुछ समय से नगर निकाय चुनाव इस प्रक्रिया के लंबित होने के कारण रुके हुए थे। चुनाव से पहले पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की स्थिति को स्पष्ट करना जरूरी था, ताकि संविधान के प्रावधानों का पालन हो सके।

झारखंड हाई कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार को चार महीने का समय देते हुए निर्देश दिया है कि चुनाव प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रक्रिया में देरी करने पर जवाबदेही तय की जाएगी।

चुनाव प्रक्रिया के लिए सरकार के सामने चुनौतियां

राज्य सरकार के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती आरक्षण की अंतिम सूची को तैयार कर समय पर चुनाव करवाना है। पिछड़े वर्गों की जातिगत स्थिति के आधार पर आरक्षण सुनिश्चित करना और इसे कानूनी चुनौतियों से बचाना एक जटिल प्रक्रिया है।

इसके अलावा, नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों का दबाव भी लगातार बना हुआ है।

जनता की उम्मीदें और प्रशासन की जिम्मेदारी

नगर निकाय चुनाव का सीधा संबंध जनता के दैनिक जीवन और उनके विकास से है। लंबे समय से रुके इन चुनावों के कारण स्थानीय प्रशासन में कई काम अधूरे हैं। जनता को उम्मीद है कि राज्य सरकार और आयोग समय पर प्रक्रिया पूरी कर चुनाव कराएंगे।

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