घटना के मुख्य बिंदु:
- धनबाद के सरायढेला स्थित पीके रॉय कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर ज्योति लाल महतो जी से मुलाकात।
- झारखंड से संबंधित किताबों पर उनके योगदान की सराहना।
- गुरुजी ने झारखंड में साहित्यकारों के सम्मान और साहित्य अकादमी के संचालन के लिए मांग पत्र सौंपा।
- वर्तमान में दो नई किताबें लिख रहे हैं: “हिस्ट्री ऑफ़ कोल माइंस” और “हिस्ट्री ऑफ धनबाद फ्रॉम द बिगिनिंग”।
- महत्वपूर्ण किताबें: “झारखंड राज्य मिला राज नहीं,” “झारखंड में विस्थापितों का दुख,” “पलाश फूल”।
गुरुजी का योगदान और प्रेरणादायक कार्य
धनबाद के पीके रॉय कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और झारखंड के जाने-माने लेखक ज्योति लाल महतो जी ने साहित्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। 85 वर्ष की उम्र में भी वह झारखंड से संबंधित विषयों पर किताबें लिखने का कार्य जारी रखे हुए हैं। उनकी लिखी किताबें जैसे “झारखंड राज्य मिला राज नहीं,” “झारखंड में विस्थापितों का दुख,” और “पलाश फूल” झारखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को गहराई से उजागर करती हैं।
साहित्य अकादमी के लिए मांग पत्र
गुरुजी ने झारखंड में साहित्य अकादमी के सुचारू संचालन और लेखकों व साहित्यकारों को उचित सम्मान दिलाने के लिए एक मांग पत्र प्रस्तुत किया। उनके इस प्रयास से झारखंड के साहित्यिक जगत को नई दिशा मिल सकती है।
गुरुजी का अदम्य साहस
शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद, गुरुजी वर्तमान समय में “हिस्ट्री ऑफ़ कोल माइंस” और “हिस्ट्री ऑफ धनबाद फ्रॉम द बिगिनिंग” जैसी महत्वपूर्ण किताबें लिख रहे हैं। उनका यह जज्बा और संघर्ष हर साहित्य प्रेमी और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
“झारखंड के लेखक और साहित्यकारों को उचित सम्मान मिले, यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
‘न्यूज़ देखो’ की अपील:
गुरुजी जैसे प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में और जानने के लिए जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ। झारखंड की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत से जुड़े हर अपडेट के लिए हमसे जुड़े रहें।