- झारखंड के वीर सपूतों के बलिदान को किया गया याद
- झामुमो ने केंद्र सरकार पर झारखंड की उपेक्षा का आरोप लगाया
- राज्य के हक-अधिकार के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प
- बाबा दिशोम गुरुजी और आंदोलनकारियों के संघर्ष को किया नमन
- संथाल परगना समेत पूरे राज्य से लोग पहुंचे कार्यक्रम में
झारखंड की क्रांतिकारी धरती का गौरवशाली इतिहास
झारखंड की भूमि हमेशा से वीरों की क्रांतिकारी गाथाओं से भरी रही है। बाबा तिलका माझी, भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, पोटो हो, टाना भगत, नीलांबर-पीतांबर, शेख भिखारी जैसे अनेकों वीरों ने इस धरती पर ब्रिटिश और अन्य शोषणकारी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष किया।
झारखंड को दरकिनार करने का आरोप
झारखंड ने देश के निर्माण में हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन हक-अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी है। झामुमो ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के आम बजट में झारखंड को दरकिनार कर दिया गया। राज्य के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए बकाया को लेकर संघर्ष करने की बात कही गई।
झारखंड की जनता के लिए संघर्ष
झारखंड सरकार लोगों को अनुदान और लाभ देकर सशक्त बनाना चाहती है, जबकि केंद्र सरकार जनता को ऋण के जाल में फंसाने की कोशिश कर रही है। झामुमो का आरोप है कि यह सब कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
संघर्ष से मिली झारखंड की पहचान
आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी और कई आंदोलनकारियों के अथक संघर्ष के बाद झारखंड को राज्य का दर्जा मिला। झामुमो ने संकल्प लिया कि अब इसे मिलकर और आगे ले जाने का काम किया जाएगा।
झामुमो का 46वां स्थापना दिवस समारोह
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 46वां स्थापना दिवस समारोह दुमका में धूमधाम से मनाया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में संथाल परगना समेत राज्य के विभिन्न कोनों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। झामुमो के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने झारखंड के संघर्ष और उपलब्धियों को याद किया।
झारखंड के हक-अधिकार की इस लड़ाई से जुड़ी हर अपडेट के लिए जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ। झारखंड मुक्ति मोर्चा के इस महत्वपूर्ण समारोह से लेकर अन्य राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों की खबरों के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहें।