झारखंड में आलू की कीमतें स्थिर, स्थानीय उत्पादन बढ़ने की उम्मीद

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा झारखंड में आलू निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध से राज्य में आलू की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश से आयात और स्थानीय उत्पादन के कारण कमी को पूरा किया जा रहा है। झारखंड में खुदरा बाजार में लोकल आलू और यूपी के आलू की कीमतों में अंतर बना हुआ है।

मौजूदा बाजार स्थिति

खुदरा बाजार:

थोक बाजार:

थोक व्यापारियों ने बताया कि फिलहाल झारखंड में यूपी से आलू मंगाया जा रहा है। स्थानीय आलू भी बाजार में आना शुरू हो गया है, जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है।

आगे की संभावनाएं

व्यापारियों का कहना है कि आने वाले एक-दो महीनों में स्थानीय आलू की पर्याप्त उपलब्धता होने से कीमतों में गिरावट संभव है। मंडी में रोजाना 1600-1800 बोरा आलू पहुंच रहा है, जो मांग को पूरा कर रहा है।

सरकार की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए मुख्य सचिव अलका तिवारी को निर्देश दिया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से बातचीत कर निर्यात पर लगी रोक को हटाने और आलू की आपूर्ति को सुचारू करने का निर्देश दिया है।

व्यापारियों की अपील और सुझाव

व्यापारियों का कहना है कि अगर पश्चिम बंगाल से आलू की आपूर्ति बहाल होती है, तो झारखंड में आलू की कीमतें स्थिर हो सकती हैं। साथ ही, स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, जिससे भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।

झारखंड के लोग अब कीमतों में गिरावट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि सरकार और व्यापारी इस स्थिति से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास कर रहे हैं।

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