रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी में असंतोष और नाराजगी की लहर उठने लगी है। हाल ही में भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जिससे पार्टी में हलचल मच गई है। इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीट भवनाथपुर को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को सौंप दिया है, जो उनके लिए अस्वीकार्य है।
भवनाथपुर सीट JMM को सौंपने से नाराजगी
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का एक मजबूत आधार रहा है, लेकिन हाल ही में पार्टी नेतृत्व ने इस सीट को JMM के हिस्से में दे दिया। इस फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं और उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसे अनसुना कर दिया।
JMM उम्मीदवार का विरोध
कार्यकर्ताओं का कहना है कि भवनाथपुर सीट से JMM ने अनंत प्रताप देव को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो पहले कांग्रेस के प्रतीक और ध्वज का अपमान कर चुके हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता इस व्यक्ति का समर्थन करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनका मानना है कि जिसने पहले पार्टी का अपमान किया, वह कांग्रेस की भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिक्रिया
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेता राजेश कुमार रजक ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व की अनदेखी के चलते सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला लिया। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी के प्रति सच्चे हैं, लेकिन फिलहाल नाराज हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रदेश नेतृत्व इनकी नाराजगी को दूर करेगा और सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, जो विपक्षी दलों में नहीं होता।
बरही के विधायक का भी इस्तीफा
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस में असंतोष की स्थिति बनी हो। इससे पहले बरही के विधायक उमाशंकर अकेला ने भी पार्टी पर पैसों के लिए टिकट काटने का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया था और समाजवादी पार्टी में शामिल होकर चुनाव में उतर गए हैं।
कांग्रेस के लिए चुनौती
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं और नेताओं के इस्तीफे ने कांग्रेस पार्टी के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। गढ़वा जिले के भवनाथपुर क्षेत्र में कांग्रेस को जिस प्रकार का समर्थन मिला था, उस पर अब प्रश्नचिह्न लग गया है। देखना होगा कि कांग्रेस नेतृत्व इस नाराजगी को कैसे शांत करता है और पार्टी को एकजुट कैसे रखता है।