
- दलित समुदाय की वर्षों पुरानी मांग पूरी, झारखंड में बनी अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर और कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की का सम्मान।
- दलित नेताओं ने कहा— अब झारखंड में अनुसूचित जातियों के विकास के लिए योजनाओं को गति मिलेगी।
- कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने परिषद गठन में निभाई अहम भूमिका।
24 साल बाद झारखंड में दलितों के विकास की पहल
झारखंड में अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद (दलित एडवाइजरी काउंसिल) के गठन को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दलित नेताओं ने सम्मानित किया। विधानसभा स्थित कार्यालय में मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और कृषि मंत्री को फूल-माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर बधाई दी गई।
दलित नेताओं ने कहा कि “झारखंड निर्माण के बाद से ही 15% दलित आबादी अपने सामाजिक विकास के लिए इस काउंसिल की मांग कर रही थी। हेमंत सरकार ने अब यह संकल्प पूरा कर दिया है।”
वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता की अहम भूमिका
नेताओं ने बताया कि झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर और कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बंधु तिर्की ने काउंसिल गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“यह झारखंड की अनुसूचित जाति के लिए ऐतिहासिक फैसला है। अब उनके विकास के लिए योजनाओं को सही दिशा में लागू किया जाएगा।”
दलित समुदाय के उत्थान की उम्मीद
दलित नेताओं ने कहा कि “झारखंड में अनुसूचित जाति संवैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं से वंचित रही है। इस कारण यह समुदाय अब भी हाशिए पर खड़ा है। हमें उम्मीद है कि अब उनके विकास के लिए ठोस योजनाएं बनेंगी।”
इन दलित नेताओं ने दी बधाई
इस मौके पर भीम कुमार, सोरेन राम, गणेश रवि, रामचंद्र राम, इंदिरा देवी, पंकज कुमार, विभाष चंद्र, कौशल पासवान, किशोर नायक और दामोदर वाल्मीकि सहित कई अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे।

‘न्यूज़ देखो’ की नज़र:
- क्या काउंसिल बनने से झारखंड में दलित समुदाय के हालात बदलेंगे?
- सरकार अनुसूचित जाति के लिए किन योजनाओं को लागू करेगी?
- काउंसिल का पहला कदम क्या होगा?
‘न्यूज़ देखो’ इस बड़े फैसले की हर अपडेट आप तक पहुंचाता रहेगा।