
#झारखंड #प्रवासीमजदूर : कैमरून में महीनों से फंसे हजारीबाग और बोकारो के मजदूरों को दिलाया गया वेतन और वापसी का रास्ता हुआ साफ
- कैमरून में फंसे झारखंड के 19 प्रवासी मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान हुआ।
- 17 मजदूरों की शनिवार को होगी वतन वापसी।
- हजारीबाग और बोकारो जिले के मजदूरों ने सोशल मीडिया पर लगाई थी गुहार।
- भारत सरकार और भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप से कंपनी ने किया भुगतान।
- परिवारों में खुशी की लहर, समाजसेवी सिकन्दर अली को मिला धन्यवाद।
चार महीने से बकाया वेतन और खाने-पीने की दिक्कतों का सामना कर रहे कैमरून स्थित झारखंड के मजदूरों की आखिरकार समस्या सुलझ गई। भारतीय दूतावास और भारत सरकार की पहल पर मजदूरों और कंपनी के बीच वार्ता हुई, जिसके बाद मजदूरी का भुगतान और वतन वापसी का रास्ता साफ हुआ। हजारीबाग और बोकारो जिलों से गए इन मजदूरों के परिवार अब राहत और खुशी महसूस कर रहे हैं।
मजदूरों की गुहार के बाद सरकार हुई सक्रिय
कैमरून की ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कंपनी में काम कर रहे 19 मजदूरों को लंबे समय से वेतन नहीं दिया जा रहा था। इनमें से 11 मजदूरों को चार माह और 8 मजदूरों को दो माह से भुगतान नहीं हुआ था। हालात इतने खराब हो गए कि मजदूरों को खाने-पीने में भी दिक्कतें आने लगीं। मजबूर होकर मजदूरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर वतन वापसी और मदद की अपील की।
भारतीय दूतावास ने दिलाया न्याय
वीडियो वायरल होने के बाद भारत सरकार और कैमरून स्थित भारतीय दूतावास ने तुरंत पहल की। कंपनी प्रबंधन और मजदूरों के बीच वार्ता कराई गई और सभी का बकाया वेतन दिलाया गया। साथ ही, वतन वापसी की प्रक्रिया भी शुरू की गई। अब 17 मजदूरों की शनिवार को भारत वापसी होगी।
परिवारों में खुशी और आभार
यह खबर मिलते ही झारखंड में मजदूरों के परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई। वेतन और वापसी की खबर ने घरों में उम्मीद और राहत पहुंचाई। इस कार्य में सरकार के साथ सहयोग करने वाले मीडिया संस्थानों और समाजसेवी सिकन्दर अली को परिवारों ने विशेष धन्यवाद दिया है।
वापसी करने वाले मजदूरों की सूची
हजारीबाग (विष्णुगढ़)
- आघनू सोरेन (भेलवारा)
- अशोक सोरेन (खरकी)
- चेतलाल सोरेन (खरकी)
- महेश मरांडी (खरकी)
- रामजी मरांडी (खरकी)
- लालचंद मुर्मू (खरकी)
- बुधन मुर्मू (नरकी)
- जिबलाल मांझी (चानो)
हजारीबाग (टाटीझरिया)
- छोटन बासके (टाटीझरिया)
- राजेंद्र किस्कू (टाटीझरिया)
बोकारो (गोमिया)
- प्रेम टुडू (चिलगो)
- सिबोन टुडू (चिलगो)
- सोमर बेसरा (करी खुर्द)
- पुराण टुडू (करी खुर्द)
- रामजी हांसदा (बड़की सिधाबारा)
- विरवा हांसदा (बड़की सिधाबारा)
- महेंद्र हांसदा (बड़की सिधाबारा)
शेष मजदूरों की वापसी भी होगी सुनिश्चित
17 मजदूरों की पहली खेप भारत लौटेगी, जबकि शेष मजदूरों की भी वापसी की प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। प्रशासन और दूतावास की ओर से भरोसा दिया गया है कि कोई भी मजदूर पीछे नहीं छूटेगा।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों के लिए उम्मीद की किरण
यह घटना बताती है कि जब प्रवासी मजदूर अपनी समस्या साझा करते हैं और सरकार गंभीरता से संज्ञान लेती है तो राहत मिलती है। सोशल मीडिया की ताकत और सरकार की तत्परता ने मजदूरों को न्याय दिलाया। प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए यह एक बड़ा सबक है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रवासी मजदूरों की आवाज बनें
अब समय है कि हम सब प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को गंभीरता से समझें और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और मिलकर यह संदेश फैलाएं कि हर श्रमिक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का हकदार है।