
#Simdega #JMM : झारखंड के प्रणेता के जाने पर शोक की लहर
- दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से झामुमो कार्यकर्ता शोक में डूबे।
- जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना बोले – झारखंड के निर्माणकर्ता को खोना अपूरणीय क्षति।
- जिला सचिव सफीक खान ने याद किए गुरुजी के आंदोलन और सादगी।
- फिरोज अली ने कहा – आदिवासी हक की आवाज हमेशा बुलंद करते रहे गुरुजी।
- महिला मोर्चा और जिला उपाध्यक्षों ने भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिशोम गुरु के निधन से झारखंड में शोक की लहर
सिमडेगा में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सभी कार्यकर्ता गहरे शोक में डूब गए, जब उन्हें पार्टी के संस्थापक और झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन का समाचार मिला। पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई और नेताओं ने उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
झामुमो नेताओं ने जताया दुख
जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कहा:
अनिल कंडुलना ने कहा: “झारखंड के निर्माणकर्ता को खोना एक अपूरणीय क्षति है। उनका जाना हम सभी को स्तब्ध कर गया।”
जिला सचिव सफीक खान ने भावुक होते हुए कहा:
सफीक खान बोले: “दिशोम गुरु शिबू सोरेन का इस तरह जाना बेहद मर्माहत करने वाला है। उन्होंने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आदिवासियों को संगठित किया और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी। उनकी सादगी और समर्पण ने उन्हें जनता के दिलों में अमर कर दिया।”
झारखंड की राजनीति में अमिट छाप
झामुमो के केन्द्रीय समिति सदस्य फिरोज अली ने कहा:
फिरोज अली ने कहा: “गुरुजी ने हमेशा आदिवासियों के हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उनका कद झारखंड में लगातार बढ़ता गया और उनका सम्मान हर राजनीतिक दल में था। यह झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है।”
महिला मोर्चा और अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष रोश प्रतिमा सोरेन, जिला उपाध्यक्ष अनिल तिर्की, ओस्कर डांग, मोहम्मद सरफराज अहमद (रूफी), मोहम्मद सिराजुद्दीन (बबलू), रितेश बड़ाइक ने भी शोक व्यक्त किया और गुरुजी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
न्यूज़ देखो: झारखंड के असली जननायक की विरासत
शिबू सोरेन का जीवन सादगी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक रहा। उन्होंने न सिर्फ झारखंड आंदोलन को दिशा दी, बल्कि आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए खुद को समर्पित कर दिया। आज उनकी अनुपस्थिति झारखंड के लिए गहरा खालीपन छोड़ गई है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आइए गुरुजी की विरासत को आगे बढ़ाएं
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