
#रांची #सरकारी_निर्णय : झारखंड के रांची और दुमका स्थित राजभवनों का नाम केंद्र सरकार के निर्देश पर लोक भवन किया गया।
- केंद्र सरकार के फैसले के बाद झारखंड राजभवन का नाम बदलकर लोक भवन किया गया।
- गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने अधिसूचना जारी की।
- झारखंड के रांची और दुमका—दोनों राजभवन अब लोक भवन कहलाएंगे।
- ब्रिटिश काल में राजभवन को गवर्नर हाउस कहा जाता था।
- नाम बदलने का उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता को दूर करना बताया गया।
- झारखंड राजभवन का इतिहास 1930-31 में लगभग 7 लाख रुपये की लागत से निर्माण का है।
झारखंड में केंद्र सरकार के निर्देश के बाद रांची और दुमका स्थित राजभवनों का नाम आधिकारिक रूप से बदल दिया गया है। अब दोनों भवन लोक भवन के नाम से जाने जाएंगे। यह निर्णय 3 दिसंबर को जारी अधिसूचना के बाद तुरंत प्रभाव से लागू हो गया। गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार देशभर के राजभवनों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई है। राज्य के अधिकारियों ने बताया कि नाम परिवर्तन का उद्देश्य औपनिवेशिक ढांचों और मानसिकता को हटाकर भवनों को अधिक लोकतांत्रिक पहचान देना है।
केंद्र के निर्णय के बाद झारखंड में लागू हुआ नाम परिवर्तन
राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि रांची एवं दुमका स्थित राजभवन अब ‘लोक भवन’ नाम से कार्य करेंगे। इसी दिशा में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में उपराज्यपाल निवास का नाम ‘लोक निवास’ कर दिया गया है।
क्यों बदला गया राजभवन का नाम
केंद्र सरकार का कहना है कि यह कदम औपनिवेशिक प्रतीकों और परंपराओं को समाप्त करने की दिशा में उठाया गया है।
केंद्र सरकार ने कहा: “ब्रिटिश काल की प्रशासनिक शब्दावली को खत्म कर स्थानीय और लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाला नाम अपनाना आवश्यक है।”
ब्रिटिश काल से जुड़ा है राजभवन का लंबा इतिहास
झारखंड राजभवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि काफी रोचक है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे गवर्नर हाउस कहा जाता था। बाद में राज्य गठन (2000) के बाद इसे राजभवन का दर्जा मिला।
झारखंड राजभवन की ऐतिहासिक विशेषताएँ
- निर्माण वर्ष: 1930 में शुरू, मार्च 1931 में पूरा
- निर्माण लागत: लगभग 7 लाख रुपये
- परिसर का क्षेत्रफल: कुल 62 एकड़
- मुख्य राजभवन: 52 एकड़
- ऑड्रे हाउस: 10 एकड़
- वास्तुकार: ब्रिटिश सैडलो बैलर्ड
- संरचना: ब्रिटिश आर्किटेक्चर के साथ स्थानीय जलवायु के अनुकूल डिजाइन
- छत की विशेषता: गर्मी से बचाव के लिए डबल रानीगंज टाइलें
- फर्श, बैठक कक्ष, दरबार हॉल में सागवान की लकड़ी का उपयोग
राजभवन की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे झारखंड की प्रशासनिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक बनाते हैं।
नाम बदलाव का व्यापक असर
नाम परिवर्तन सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक पहचान में बदलाव का संकेत भी देता है। अब झारखंड के सरकारी दस्तावेजों, बोर्डों और आधिकारिक पत्राचार में ‘राजभवन’ की जगह ‘लोक भवन’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।

न्यूज़ देखो: शासन की नई पहचान की ओर बड़ा कदम
यह निर्णय बताता है कि केंद्र और राज्य सरकारें औपनिवेशिक प्रभावों को हटाकर अधिक लोकतांत्रिक एवं जन-केंद्रित शासन संरचना की दिशा में बढ़ रही हैं। झारखंड में लोक भवन नामकरण से यह संदेश जाता है कि सरकारी परिसरों की पहचान जनता से जुड़ी होनी चाहिए। आने वाले समय में ऐसे और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
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लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब नागरिक जागरूक हों और बदलाव की हर प्रक्रिया को समझें। सरकारी पहचान में आया यह परिवर्तन सिर्फ नाम बदलने भर का काम नहीं, बल्कि सोच और व्यवस्था को नया रूप देने का प्रयास है।
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