
#सिमडेगा #कर्मचारी_आंदोलन : जिला कृषि कार्यालय परिसर में आयोजित बैठक में कर्मचारियों, अनुबंध व दैनिक वेतनभोगियों के लंबित वेतन और सेवा स्थायीकरण को लेकर राज्य सरकार से त्वरित निर्णय की मांग
- झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ जिला शाखा सिमडेगा की विशेष बैठक का आयोजन।
- बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष बिनोद बिहारी दास ने की।
- कई महीनों से लंबित वेतन और मानदेय भुगतान का मुद्दा प्रमुखता से उठा।
- क्रिसमस पर्व से पूर्व वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की राज्य सरकार से मांग।
- अनुबंध, सफाई एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के सेवा स्थायीकरण पर जोर।
- कर्मचारियों की एकजुटता और संगठित संघर्ष को बताया गया समाधान का रास्ता।
झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ जिला शाखा सिमडेगा की एक विशेष बैठक बुधवार को जिला कृषि कार्यालय परिसर में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष बिनोद बिहारी दास ने की। बैठक में जिले के विभिन्न विभागों में कार्यरत स्थायी, अनुबंध, दैनिक वेतनभोगी एवं सफाई कर्मियों की समस्याओं पर गंभीर चर्चा की गई। मुख्य रूप से लंबित वेतन भुगतान, सेवा स्थायीकरण और कर्मचारियों के भविष्य से जुड़े मुद्दे बैठक के केंद्र में रहे।
कर्मचारियों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष का दावा
बैठक को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष बिनोद बिहारी दास ने कहा कि झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ हमेशा से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करता आया है। उन्होंने कहा कि संगठन के आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही पूर्व में कई मांगें सरकार द्वारा लागू की गई हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं होगा, तब तक महासंघ का संघर्ष जारी रहेगा।
लंबित वेतन और मानदेय बना सबसे बड़ा मुद्दा
बैठक में जिला सचिव सुशील कुमार सिंह ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा:
सुशील कुमार सिंह ने कहा: “जिले के कई विभागों में कार्यरत कर्मचारियों, अनुबंध कर्मियों, दैनिक वेतनभोगियों और सफाई कर्मियों का वेतन और मानदेय कई महीनों से लंबित है। राज्य सरकार को चाहिए कि क्रिसमस पर्व से पहले भुगतान का आदेश जारी करे, ताकि कर्मचारी और उनके परिवार इस महत्वपूर्ण पर्व को सम्मानपूर्वक मना सकें।”
उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों के परिवारों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जो न केवल सामाजिक बल्कि मानसिक तनाव का भी कारण बन रहा है।
केंद्र के समान वेतनमान और सुविधाओं की मांग
जिला सचिव ने राज्य सरकार से यह भी मांग की कि राज्य कर्मियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह वेतनमान और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएं। उन्होंने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन और सुविधाएं मिलना कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है।
इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों में कार्यरत अनुबंध कर्मचारियों, सफाई कर्मियों और दैनिक वेतनभोगियों के सेवा स्थायीकरण और नियमित वेतनमान लागू करने की मांग को दोहराया।
स्थायीकरण नहीं होने से भविष्य अंधकारमय
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सेवा स्थायीकरण नहीं होने से अनुबंध कर्मियों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। न तो उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिलती है और न ही भविष्य की कोई ठोस योजना। इस स्थिति में कर्मचारी मानसिक और आर्थिक दोनों स्तर पर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
सुशील कुमार सिंह ने कहा: “स्थायीकरण के अभाव में अनुबंध कर्मियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। सरकार को इस दिशा में शीघ्र ठोस निर्णय लेना चाहिए।”
कर्मचारियों की एकजुटता पर दिया गया जोर
बैठक में कर्मचारियों की एकजुटता को सबसे बड़ा हथियार बताया गया। जिला सचिव ने कहा, “संघे शक्ति कलयुगे”, अर्थात संगठित रहकर ही कर्मचारियों की मांगों को पूरा कराया जा सकता है। सभी कर्मचारियों से आह्वान किया गया कि वे महासंघ के बैनर तले एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें।
कर्मचारियों ने रखीं अपनी समस्याएं
बैठक में उत्तम कुमार प्रसाद, विजय उरांव, मनीषा जतरमा, लक्ष्मी प्रसाद, दीपक कुमार साहु, वीरबहादुर यादव, पुप्ता कुमारी, सुनील कुमार, विजय कुमार राम, किरण केरकेट्टा, बसंती कुमारी, भानू तोप्पो, अर्चना सुमति कुमारी सहित अन्य कर्मचारियों ने अपने-अपने विचार और समस्याएं साझा कीं।
सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि राज्य सरकार को कर्मचारियों और अनुबंध कर्मियों के व्यापक हित में सेवा स्थायीकरण से संबंधित आदेश शीघ्र जारी करना चाहिए, ताकि उनके परिवार और बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
आंदोलन की चेतावनी के संकेत
हालांकि बैठक में किसी तत्काल आंदोलन की घोषणा नहीं की गई, लेकिन वक्ताओं के तेवर यह संकेत दे रहे थे कि यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो महासंघ आगे और कड़े कदम उठाने पर विचार कर सकता है।
न्यूज़ देखो: कर्मचारियों की पीड़ा और सरकार की जिम्मेदारी
सिमडेगा में आयोजित यह बैठक राज्य में कार्यरत कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है। लंबित वेतन और सेवा स्थायीकरण जैसे मुद्दे केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि मानवीय भी हैं। अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समय रहते निर्णय लेकर कर्मचारियों के भरोसे को मजबूत करे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संगठित आवाज से ही मिलेगा अधिकार
कर्मचारियों की समस्याएं तब तक अनसुनी रहती हैं, जब तक वे संगठित होकर अपनी आवाज नहीं उठाते। यह बैठक एक बार फिर याद दिलाती है कि एकजुटता ही बदलाव की कुंजी है।





