हाइलाइट्स:
- पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 100 करोड़ रुपये के गबन का मामला गूंजा
- वित्त विभाग की जांच में तीन अधिकारी दोषी, पर सिर्फ रोकड़पाल पर FIR
- विपक्ष ने लगाया भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का आरोप
- प्रदीप यादव की चेतावनी – दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो देंगे धरना
- मंत्री ने मांगा 7 दिन का समय, स्पीकर ने प्रश्न स्थगित किया
वित्त विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में करोड़ों की हेराफेरी का मामला गरमाया।
विधायक प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि स्वर्णरेखा परियोजना के तहत फर्जी खाते खोलकर 100 करोड़ रुपये की निकासी की गई।
वित्त विभाग की जांच में मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर और रोकड़पाल संतोष कुमार को दोषी पाया गया, लेकिन अब तक केवल रोकड़पाल के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
विधायक स्टीफन मरांडी और रामेश्वर उरांव ने सरकार पर भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया।
रामेश्वर उरांव ने कहा, “इस मामले में ‘धंसा दो’ नीति अपनाई जा रही है, यानी दोषियों को बचाने की साजिश हो रही है।”
धरने की चेतावनी
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि अगर दोषी अधिकारियों पर FIR नहीं हुई तो वह सदन में धरने पर बैठ जाएंगे।
हेमलाल मुर्मू ने भी कहा कि रोकड़पाल अकेले इतनी बड़ी हेराफेरी नहीं कर सकता, इसमें बड़े अधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए।
7 दिन के लिए स्थगित हुआ प्रश्न
विवाद बढ़ने के बाद प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि मामले की जांच जारी है और सात दिन के भीतर सदन को जानकारी दी जाएगी।
इसके बाद स्पीकर ने इस प्रश्न को 7 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।
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