#पलामू #जलसंकट – वित्त मंत्री ने केंद्र पर फंड रोके जाने का लगाया आरोप, कहा- राज्य का योगदान तैयार लेकिन आगे नहीं बढ़ पा रही योजना
- वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार पर फंड न देने का आरोप लगाया
- जल जीवन मिशन अधूरा रहने की मुख्य वजह फंड की कमी बताई
- राज्य सरकार ने केंद्र से आधे हिस्से के फंड की मांग की
- मुख्यमंत्री ने जल संकट पर मंत्रियों को सक्रिय पहल के निर्देश दिए
- 3000 खराब चापाकलों की मरम्मत और हर पंचायत में टैंकर भेजने की योजना
- फंडिंग नहीं मिलने पर अनाबद्ध राशि से समाधान की तैयारी
जल जीवन मिशन पर केंद्र की चुप्पी, राज्य की चिंता
झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राज्य सरकार जल जीवन मिशन के 2024-25 के हिस्से का फंड लेकर तैयार है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अपना हिस्सा नहीं देने से योजना अधूरी पड़ी हुई है। उन्होंने इसे राजनीतिक मुद्दा न बताते हुए कहा कि स्थिति वास्तव में गंभीर है और इसका असर झारखंड के जल संकट पर पड़ रहा है।
“राज्य सरकार के पास फंड तैयार है, लेकिन जब तक केंद्र से हिस्सा नहीं मिलेगा, तब तक जल जीवन मिशन आगे नहीं बढ़ पाएगा।”
— राधाकृष्ण किशोर (वित्त मंत्री, झारखंड)
वित्त मंत्री ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात हो चुकी है और मई-जून में फंड रिलीज़ होने का आश्वासन मिला है। लेकिन जब तक केंद्र से राशि नहीं मिलती, जल संकट का समाधान अधूरा ही रहेगा।
मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत: हर मंत्री अपने स्तर से पहल करें
राज्य में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागीय स्तर से तत्काल पहल करने का निर्देश दिया है। वित्त मंत्री ने बताया कि अनाबद्ध राशि से जल संकट के तात्कालिक समाधान के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
चापाकल मरम्मत और टेंडर प्रक्रिया में तेजी
जल संकट को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने 3000 के करीब खराब चापाकलों की मरम्मत का फैसला किया है। वित्त मंत्री ने अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि इन चापाकलों के ठीक होने से 70% पानी की समस्या का समाधान हो सकता है। चूंकि टेंडर प्रक्रिया लंबी और जटिल है, इसलिए अनाबद्ध निधि से तत्काल मरम्मत कार्य शुरू करने की योजना बनाई गई है।
जिला प्रशासन की रणनीति: टैंकर से पहुंचेगा पानी
पलामू उपायुक्त शशि रंजन ने पेयजल संकट पर अपनी कार्ययोजना साझा करते हुए बताया कि जिले की हर पंचायत में एक टैंकर पानी भेजा जाएगा। साथ ही एक महिने का विशेष अभियान चलाकर खराब चापाकलों की पहचान और मरम्मत की जाएगी।
पंचायत स्तर पर सर्वे और क्रियान्वयन
डीसी ने कहा कि इस अभियान में पंचायत सचिव, पंचायत स्वयंसेवक और जनसेवा से जुड़े अधिकारी भाग लेंगे। इसके अलावा अन्य विभागों से जूनियर इंजीनियरों की तैनाती की जाएगी ताकि सर्वे और मरम्मत कार्य में गति लाई जा सके।
“जल संकट सिर्फ सरकारी काम नहीं, यह जनहित का विषय है और हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं।”
— शशि रंजन (उपायुक्त, पलामू)
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