
#पालकोट #झालीवुड_संघर्ष : ठोस फिल्म नीति और सरकारी सहयोग के अभाव में झारखंड के क्षेत्रीय कलाकारों ने उठाई संगठित आवाज
- झारखंड के क्षेत्रीय कलाकार काम, सम्मान और पहचान के लिए लंबे समय से संघर्षरत।
- फिल्म नीति, प्रशिक्षण केंद्र और स्थायी मंच के अभाव से कलाकारों में निराशा।
- इलाज, आय और भविष्य को लेकर आर्थिक असुरक्षा बड़ी समस्या।
- कलाकारों ने सरकार से आरक्षण, स्वास्थ्य सुविधा और पेंशन जैसी मांगें रखीं।
- पालकोट में झारखंड क्षेत्रीय कलाकार सोसायटी का गठन।
- बैठक में 17 जिलों के कलाकार हुए शामिल।
झारखंड की धरती कला, संस्कृति और प्रतिभा से समृद्ध रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य के क्षेत्रीय कलाकार आज भी काम, सम्मान और पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नागपुरी, खोरठा, कुड़ुख, संथाली सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में काम करने वाले कलाकारों को न तो स्थायी मंच मिल पा रहा है और न ही सरकार की ओर से ठोस सहयोग। इसी पीड़ा को साझा करने और समाधान की दिशा में पहल के उद्देश्य से गुमला जिले के पालकोट में राज्यभर से आए कलाकारों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।
अपार संभावनाएं, लेकिन अवसरों की कमी
कलाकारों ने एक स्वर में कहा कि झारखंड में फिल्मों, एल्बम और वेब कंटेंट के निर्माण की अपार संभावनाएं हैं। प्राकृतिक लोकेशन, समृद्ध लोक-संस्कृति और प्रतिभाशाली कलाकार राज्य की बड़ी ताकत हैं, लेकिन स्पष्ट फिल्म नीति के अभाव में यह संभावनाएं साकार नहीं हो पा रही हैं। अनियमित आय और अस्थिर जीवनशैली के कारण कई कलाकारों के लिए इलाज तक का खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है। इससे कलाकारों में गहरी निराशा और असुरक्षा की भावना पनप रही है।
‘झालीवुड’ को नहीं मिली स्पष्ट पहचान
बैठक में कलाकारों ने चिंता जताई कि झारखंड की क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्री, जिसे आमतौर पर “झालीवुड” कहा जाता है, आज तक अपनी अलग पहचान नहीं बना पाई है। इसका सीधा असर कलाकारों के रोजगार, आत्मसम्मान और भविष्य पर पड़ रहा है। हुनर होने के बावजूद उन्हें काम के लिए अन्य राज्यों की ओर रुख करना पड़ता है। साथ ही, एक्टिंग, निर्देशन, कैमरा और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की कमी भी एक बड़ी बाधा बनी हुई है।
सरकार से कलाकारों की प्रमुख मांगें
राज्य के क्षेत्रीय कलाकारों ने सरकार के समक्ष अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रखीं। इनमें प्रमुख रूप से—
- नागपुरी, खोरठा एवं अन्य क्षेत्रीय भाषा के कलाकारों को सरकारी नौकरियों में कम से कम 2 प्रतिशत आरक्षण।
- कलाकारों को आयुष्मान भारत योजना सहित समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ।
- कलाकारों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की देखरेख में स्थायी कमेटी का गठन।
- कलाकारों को अपने ही राज्य में समय पर काम उपलब्ध कराया जाए।
- कलाकारों को सम्मान राशि/अनुदान, जिससे उन्हें आर्थिक सहारा मिल सके।
इसके अतिरिक्त कलाकारों की सात सूत्री मांगों में राज्य में फिल्म नीति का गठन, कलाकारों के लिए पेंशन योजना, रांची में निशुल्क कलाकार क्लब की स्थापना, आर्टिस्ट कार्ड, बीमा सुविधा, क्षेत्रीय फिल्मों की शूटिंग के लिए निशुल्क लोकेशन और सिनेमा घरों में क्षेत्रीय फिल्मों के लिए कम से कम एक शो अनिवार्य करने की मांग शामिल रही।
कलाकारों की आवाज
झारखंड क्षेत्रीय कलाकार सोसायटी के अध्यक्ष पवन रॉय ने कहा—
“यदि कलाकार क्लब, प्रशिक्षण केंद्र और वित्तीय सहायता जैसी सुविधाएं मिलें, तो झालीवुड को नई दिशा मिलेगी और झारखंड के कलाकारों को वह पहचान और सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं।”
वहीं वर्षा लकड़ा ने कहा कि आयुष्मान योजना, आवास और बच्चों की शिक्षा जैसी सुविधाएं मिलने से कलाकार निश्चिंत होकर अपनी कला को आगे बढ़ा सकेंगे। उन्होंने सरकार से इस दिशा में गंभीर पहल करने की अपील की।
झारखंड क्षेत्रीय कलाकार सोसायटी का गठन
कलाकारों के अधिकारों और समस्याओं को संगठित रूप से उठाने के उद्देश्य से पालकोट में झारखंड क्षेत्रीय कलाकार सोसायटी का गठन किया गया। इसके तहत गुमला जिला इकाई एवं राज्य स्तरीय संरचना की घोषणा की गई।
गुमला जिला इकाई
अध्यक्ष: अजीत साहू
उपाध्यक्ष: बसंत साहू
सचिव: ब्रजेश राम
उपसचिव: मनीष सिंह
कोषाध्यक्ष: राहुल बड़ाईक (कैमरामैन)
उपकोषाध्यक्ष: भरत सिंह
राज्य स्तरीय कैबिनेट पदाधिकारी
अध्यक्ष: पवन रॉय
उपाध्यक्ष: वर्षा लकड़ा, ज्योति मिंज, राजू केरकेट्टा
सचिव: रमण गुप्ता, पंकज रॉय, मोनू राज
सह सचिव: सत्या महतो
महासचिव: रूपेश बड़ाईक
कवि प्रतिनिधि: किशन दशरथ हंसदा, किशन राज
कोषाध्यक्ष: मनोज शहरी
उपकोषाध्यक्ष: आशीष तिग्गा
पांच प्रमंडल अध्यक्ष
उत्तरी छोटा नागपुर: विनय तिवारी
दक्षिणी छोटा नागपुर: कवि किशन
पलामू: रविकांत भगत
कोल्हान: दशरथ हंसदा
संथाल परगना: अगस्टिन हंसदा
इस बैठक में राज्य के 17 जिलों के क्षेत्रीय कलाकार शामिल हुए, जहां संगठन को लेकर खासा उत्साह और एकजुटता देखने को मिली।

न्यूज़ देखो: कला से जुड़े लोगों की उम्मीद
झारखंड के कलाकारों की यह पहल बताती है कि अब वे केवल शिकायत नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में संगठित प्रयास चाहते हैं। यदि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे, तो झारखंड की क्षेत्रीय कला और ‘झालीवुड’ राष्ट्रीय पहचान बना सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जब कलाकार मजबूत होंगे, तब संस्कृति भी मजबूत होगी
कला केवल मनोरंजन नहीं, समाज की आत्मा होती है।
झारखंड के कलाकार सम्मान और अवसर के हकदार हैं।
अब समय है कि उनकी आवाज सुनी जाए।
इस खबर को साझा करें और कलाकारों के संघर्ष को मजबूती दें।





