
#झारखंड #म्यूटेशन_प्रक्रिया : सॉफ्टवेयर खराबी से ऑनलाइन आवेदन ठप—रैयत, अंचल कार्यालय और प्रज्ञा केंद्र संचालक सभी परेशान
- पिछले 15 दिनों से ऑनलाइन म्यूटेशन आवेदन अपलोड नहीं हो रहा।
- प्रज्ञा केंद्रों पर रैयत लौटाए जा रहे, आवेदन फाइल नहीं हो पा रहा।
- अंचल कार्यालयों में नए आवेदन पूरी तरह बंद पड़े हैं।
- कर्मियों के अनुसार समस्या झारनेट और एनआईसी सिस्टम से जुड़ी हुई।
- केवल एनजीडीआरएस के माध्यम से भेजे गए रजिस्ट्री दस्तावेज ही पहुंच रहे हैं।
झारखंड भर में बीते 15 दिनों से ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो चुकी है। रैयत अपनी जमीन के म्यूटेशन के लिए प्रज्ञा केंद्रों में आवेदन कराने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। नतीजा यह है कि इस अवधि में अंचल कार्यालयों तक एक भी नया म्यूटेशन आवेदन नहीं पहुंच पाया। इससे रैयतों के साथ-साथ अंचल कार्यालयों के कर्मचारी और प्रज्ञा केंद्र संचालक भी बेहद परेशान हैं।
रैयत लगातार अंचल कार्यालय और प्रज्ञा केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हर जगह से सिर्फ यही जवाब मिल रहा है कि सिस्टम काम नहीं कर रहा। प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने बताया कि समस्या सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी के कारण उत्पन्न हुई है, जिसकी वजह से ऑनलाइन फॉर्म अपलोड नहीं हो पा रहा।
झारनेट और एनआईसी की वजह से समस्या, अधिकारियों को दी गई जानकारी
अंचल कार्यालयों के कर्मियों के अनुसार इस पूरे तकनीकी व्यवधान के पीछे झारनेट और एनआईसी सर्वर की गड़बड़ी जिम्मेदार है। इस संबंध में संबंधित विभागीय अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
केवल एनजीडीआरएस के दस्तावेज पहुंच रहे, बाकी ऑनलाइन आवेदन ठप
वर्तमान में केवल एनजीडीआरएस सिस्टम के माध्यम से संपत्ति रजिस्ट्री के बाद भेजे जाने वाले दस्तावेज ही अंचल कार्यालयों तक पहुंच पा रहे हैं। यह दस्तावेज सुओ-मोटो म्यूटेशन प्रक्रिया के तहत स्वतः भेजे जाते हैं।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण—व्यक्तिगत रूप से ऑनलाइन आवेदन फाइल करना पूरी तरह बंद पड़ा है।
रैयतों की बढ़ती मुश्किलें
म्यूटेशन फाइल न होने से
- जमीन संबंधित कार्य रुक गए हैं,
- ऋण और बैंकिंग कार्य प्रभावित हैं,
- भूमि विवाद समाधान भी ठप पड़ा है।
रैयतों ने कहा कि—
“पूरे राज्य में व्यवस्था ठप है, कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा।”
प्रज्ञा केंद्र संचालकों की परेशानी
संचालकों का कहना है कि लोग नाराज़ होकर उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जबकि असल समस्या सरकारी सॉफ्टवेयर में है।
न्यूज़ देखो: सिस्टम सुधार की सख्त जरूरत
झारखंड में म्यूटेशन जैसी महत्वपूर्ण सेवा का 15 दिनों तक बाधित रहना शासन-प्रशासन की डिजिटल व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। आवश्यक है कि तकनीकी खामियों की त्वरित मरम्मत हो और वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए, ताकि रैयतों को राहत मिले।
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जनता की जमीन, जनता का अधिकार—अब जरूरी है तेज समाधान
म्यूटेशन प्रक्रिया ठप होने से हजारों लोग प्रभावित हैं।
यदि आपके क्षेत्र में भी यही स्थिति है तो कमेंट में बताएं और इस खबर को शेयर कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं—ताकि समस्या जल्द हल हो सके।





