
#गढ़वा #विधायककोटाविवाद : झामुमो प्रतिनिधिमंडल ने विधायक निधि में पारदर्शिता की मांग को लेकर उपविकास आयुक्त को सौंपा ज्ञापन — योजनाओं के दुरुपयोग और अपात्र लाभुकों को लाभ पहुंचाने का आरोप
- झामुमो प्रतिनिधिमंडल ने विधायक कोटे की योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की
- धीरज दुबे ने विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी के पूर्व कार्यकाल में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाया
- 50 फीट में बोरिंग और 200 फीट की लागत उठाने जैसे गंभीर उदाहरण सामने रखे गए
- स्वतंत्र निगरानी समिति के गठन की मांग, जिसमें सामाजिक प्रतिनिधियों को हो शामिल
- प्रशासन की निष्क्रियता पर आंदोलन की चेतावनी दी, जनहित में पारदर्शिता की वकालत
झामुमो ने उठाई पारदर्शिता की मांग, सौंपा ज्ञापन
गढ़वा, 26 जून: गढ़वा जिले में विधायक कोटे की राशि के उपयोग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
पार्टी के केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को जिला प्रशासन से मुलाकात कर उपविकास आयुक्त को ज्ञापन सौंपा।
इस ज्ञापन में विधायक निधि की योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और एक स्वतंत्र निगरानी समिति के गठन की मांग प्रमुख रूप से रखी गई।
विधायक निधि में अपात्रों को लाभ और मानकों की अनदेखी का आरोप
धीरज दुबे ने कहा कि विधायक निधि का उद्देश्य जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाना है, लेकिन कई बार यह देखा गया है कि वास्तविक लाभुकों को नजरअंदाज कर अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाया जाता है।
उन्होंने पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी के 2009 से 2019 तक के कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि इस अवधि में चापाकल जैसी योजनाओं में भारी अनियमितता देखने को मिली थी।
धीरज दुबे ने कहा:
“कई मामलों में एक ही परिवार के तीन-तीन सदस्यों को योजनाओं का लाभ दिया गया, जबकि जरूरतमंद लोग वंचित रह गए।“
उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु में चापाकल की बोरिंग केवल 50–60 फीट की गई, जबकि 200 फीट की लागत उठाई गई, जो स्पष्ट रूप से घोटाले की ओर इशारा करता है।
निगरानी समिति की वकालत, जनभागीदारी को बताया जरूरी
ज्ञापन में यह मांग की गई कि एक स्वतंत्र निगरानी समिति का गठन हो, जिसमें केवल जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि पंचायती राज संस्थाओं के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक भी शामिल हों।
इससे योजनाओं में जनभागीदारी बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
योजनाओं की सार्वजनिक सूची जारी करने की मांग
धीरज दुबे ने जिला प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि विधायक निधि से स्वीकृत योजनाओं और लाभुकों की सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने कहा कि जब जनता यह जान सकेगी कि किन-किन लोगों को सरकारी योजनाओं से लाभ मिल रहा है, तभी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी।
आंदोलन की चेतावनी, युवाओं को किया जागरूक
झामुमो प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर जल्द और ठोस पहल नहीं करता, तो पार्टी जन आंदोलन की दिशा में कदम उठाएगी।
धीरज दुबे ने युवाओं और ग्रामीणों से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होने की अपील की।
धीरज दुबे ने कहा:
“मेरी आवाज, जनता की आवाज है। जनहित में कभी समझौता नहीं करूंगा।“
प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे ये लोग
ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में जिला अध्यक्ष शंभू राम, सचिव शरीफ अंसारी, जिला परिषद प्रत्याशी बबलू दुबे, प्रखंड अध्यक्ष फुजैल अहमद, लल्लू कुमार मेहता, आनंद कुमार, अंकित पांडे, संजय दास सहित कई कार्यकर्ता शामिल थे।
सभी ने एक स्वर में प्रशासन से विधायक कोटे के योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की।
न्यूज़ देखो: विधायक निधि में जनता की हिस्सेदारी जरूरी
विधायक निधि का उद्देश्य जनकल्याण है, लेकिन यदि उसका उपयोग अपारदर्शी हो तो यह जनता के विश्वास का उल्लंघन है।
न्यूज़ देखो मानता है कि सार्वजनिक निधि की निगरानी में आम जनता की भागीदारी लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है।
झामुमो की इस पहल ने एक आवश्यक बहस को जन्म दिया है — क्या हर विधायक कोटा योजना पर निगरानी समिति अनिवार्य होनी चाहिए?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र की असली ताकत जनता की जागरूकता में है
जनता का धन जनता के हित में सही तरीके से खर्च हो — यह हर नागरिक का अधिकार है।
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