
#सिमडेगा #ईंद_मेला : झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कांडुलना ने ईंद मेला में आदिवासी और झारखंडी संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया
- आज दिनांक 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को लाचरागढ़ ईंद मेला आयोजित किया गया।
- झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कांडुलना विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
- मुख्य अतिथि बाइस पड़हा मुंडा महाराजा श्री सनिका मुंडा ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
- मेले में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
- ईंद मेला में उपस्थित कई वरिष्ठ झामुमो नेता और प्रखंड व जिला पदाधिकारी उपस्थित रहे।
लाचरागढ़ में आयोजित ईंद मेला ने आदिवासी और झारखंडी संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस अवसर पर झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कांडुलना ने कहा कि ईंद मेला लगाना झारखंडियों की सदियों पुरानी परंपरा है और यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे इस परंपरा को बनाए रखें और आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुँचाने में मदद करें।
ईंद मेला में सांस्कृतिक उत्सव
मेले में उपस्थित लोगों ने झारखंडी आदिवासी नृत्य, संगीत और कला का आनंद लिया। कार्यक्रम के दौरान रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कांडुलना ने अपने संबोधन में कहा:
अनिल कांडुलना ने कहा: “ईंद मेला हमारी संस्कृति का प्रतीक है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है।”

प्रमुख उपस्थित लोग और पदाधिकारी
मेले में कई झामुमो पदाधिकारी और समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इसमें केन्द्रीय समिति सदस्य नोवस केरकेट्टा, फिरोज अली, ज़ुसफ लुगुन, जिला उपाध्यक्ष रितेश बड़ाइक, जिला कोषाध्यक्ष राजेश टोप्पो, जिला संगठन सचिव वकील खान, क्रीड़ा मोर्चा जिलाध्यक्ष देवेंद्र साहू, अल्पसंख्यक मोर्चा जिलाध्यक्ष उपाध्यक्ष साबिर अंसारी, प्रखंड अध्यक्ष कोलेबिरा प्रकाश बागे, प्रखंड सचिव वृष डुंगडुंग, देवनीसिया कुल्लू, अनीता सोरेंग, अजय सिंह, विजय बागे, आयोजन समिति अध्यक्ष एल्बिनुश लुगुन, उपाध्यक्ष पंकज लुगुन, सचिव प्रवीण लुगुन, जेवियर होब्बो, कोषाध्यक्ष हरमुश लुगुन, जॉर्ज कांडुलना, सलाहकार संजय पॉल केरकेट्टा, ग्रेगोरी समद, नरेंद्र लुगुन, पौलूस लुगुन, लियोनार्ड लुगुन, सुशील लुगुन शामिल थे। इन सभी ने मिलकर मेले की सफलता सुनिश्चित की।

न्यूज़ देखो: लाचरागढ़ ईंद मेला में झारखंडी संस्कृति का जश्न और संरक्षण
यह मेले का आयोजन यह दर्शाता है कि झारखंडी और आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना आज भी महत्वपूर्ण है। स्थानीय और राजनीतिक नेताओं की भागीदारी से यह परंपरा न केवल जीवित रहती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बनती है।
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