Bihar

JMM का ‘मिशन बिहार’: 16 सीटों पर मजबूत दावेदारी के साथ सियासी विस्तार की तैयारी

#बिहार #झारखंडमुक्तिमोर्चा – बिहार में JMM का बढ़ता दायरा, हेमंत सोरेन की अगुवाई में राजनीतिक जमीन तैयार

  • झामुमो ने बिहार, बंगाल और ओडिशा में विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव किया पारित
  • INDIA गठबंधन के तहत JMM ने 16 सीटों पर दावेदारी की पुष्टि
  • बिहार के जमुई, भागलपुर, किशनगंज, कटिहार जैसे जिलों में संगठन मजबूत
  • हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव मिलकर करेंगे सीटों पर अंतिम निर्णय
  • 2025 विधानसभा चुनाव में JMM पहली बार पूरी ताकत के साथ मैदान में
  • पहले के मुकाबले इस बार संगठनात्मक तैयारी और राजनीतिक रणनीति बेहद ठोस

JMM की नई रणनीति: सीमाओं से परे जाकर सियासी असर

झारखंड मुक्ति मोर्चा अब सिर्फ झारखंड की राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि अपने राजनीतिक विस्तार की परिभाषा बदल रहा है। महाधिवेशन में पारित राजनीतिक प्रस्ताव के तहत अब JMM पड़ोसी राज्यों बिहार, बंगाल और ओडिशा में भी अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है।

2025 में होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव को JMM एक सुनहरा मौका मान रहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह INDIA गठबंधन के साथ चुनाव में उतरेगी और इस बार महज “वोट कटवा” पार्टी नहीं, बल्कि विजेता बनने की तैयारी के साथ मैदान में है।

किन जिलों में होगी जोरदार उपस्थिति? JMM की चुनावी भूगोल

JMM ने बिहार के जिन 16 विधानसभा क्षेत्रों पर नजर गड़ाई है, उनमें अधिकतर इलाके आदिवासी बहुल हैं और संगठन पिछले कई महीनों से यहां पर मजबूती से सक्रिय है। जिन 14 सीटों की घोषणा अब तक हुई है, वे इस प्रकार हैं:

  • जमुई जिला : चकाई, झाझा
  • बांका जिला : कटोरिया
  • भागलपुर
  • पूर्णिया
  • कटिहार
  • किशनगंज

इन सीटों पर JMM कार्यकर्ताओं की नियुक्ति, जनसंपर्क अभियान, और बूथ स्तर पर टीम गठन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है

“हमारी तैयारी सिर्फ कागज़ों तक नहीं है, जमीन पर कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं। INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय जल्द लिया जाएगा।”
JMM के वरिष्ठ संगठन मंत्री

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बढ़ा आत्मविश्वास

हेमंत सोरेन के केंद्रीय अध्यक्ष बनने के बाद, पार्टी को बिहार में चुनाव लड़ने की दिशा में नया जोश और आत्मविश्वास मिला है। उनका राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी नेता के रूप में उभरना, और कल्पना सोरेन का स्टार प्रचारक के रूप में कद बढ़ना, दोनों ही JMM को झारखंड के बाहर की राजनीति में प्रभावी चेहरा बना रहे हैं।

2024 में झारखंड में मिली चुनावी सफलता और संगठन के प्रति बढ़ते भरोसे को अब JMM बिहार में दोहराना चाहता है। इस बार पार्टी बिना गठबंधन के नहीं, बल्कि सामूहिक रणनीति के साथ मैदान में उतर रही है

तेजस्वी और हेमंत की केमिस्ट्री तय करेगी सीटों का समीकरण

INDIA गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का मसला बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। 2014 और 2019 के चुनावों में कई सीटों पर खींचतान और फ्रेंडली फाइट देखने को मिली थी। लेकिन इस बार JMM ने समय रहते अपने पत्ते खोल दिए हैं और तेजस्वी यादव के साथ सीधी बातचीत में शामिल होने का फैसला लिया है।

“हम फ्रेंडली फाइट नहीं, स्पष्ट रणनीति के साथ चुनाव में हैं। सीटों का अंतिम निर्णय हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव की सहमति से होगा।”
JMM के प्रदेश प्रवक्ता

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बिहार में JMM का मुकाबला अब केवल चुनाव नहीं, प्रतिष्ठा की लड़ाई

JMM का यह निर्णय कि वह बिहार के विधानसभा चुनाव को संपूर्ण राजनीतिक गंभीरता से लड़ेगा, पार्टी की बदलती प्राथमिकताओं और बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है। हेमंत सोरेन की छवि, संगठन की मेहनत और गठबंधन की ताकत — इन सबके साथ JMM पहली बार सच्चे मायनों में बिहार की राजनीति का हिस्सा बनने को तैयार है।

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