
#पलामू #शोक_श्रद्धांजलि : झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता बबलू सिंह ने विनोद पांडेय की माताजी जलेश्वरी देवी के निधन पर उनके आवास पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधाया
- विनोद कुमार पांडेय की माताजी जलेश्वरी देवी का निधन होने पर झामुमो के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया।
- बशिष्ठ कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह, झामुमो किसान मोर्चा के पलामू जिलाध्यक्ष, दिवंगत माता के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए।
- बबलू सिंह ने शोकसंतप्त परिवार से मिलकर ढांढस बंधाया और ईश्वर से प्रार्थना की कि परिवार को दुख सहने की शक्ति मिले।
- बबलू सिंह ने कहा कि जलेश्वरी देवी का जीवन सादगी, संस्कार और सेवा भावना का प्रतीक था।
- दिवंगत जलेश्वरी देवी का अंतिम संस्कार 13 अक्टूबर सुबह 11 बजे रांची के हरमू मुक्ति धाम घाट पर संपन्न हुआ।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और राज्य समन्वय समिति के सदस्य विनोद कुमार पांडेय ने अपने निजी जीवन में अपूरणीय क्षति सहन की है। इस दुख की घड़ी में पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उनके साथ खड़े रहे। पलामू जिले से पहुंचे बबलू सिंह ने परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि जलेश्वरी देवी का जीवन समाज में प्रेरणा और सेवा का प्रतीक था।
शोक और श्रद्धांजलि का महत्व
बबलू सिंह ने परिवार से मिलकर कहा कि यह समय गहरा दुःख का है, लेकिन हमें इस परिस्थिति में धैर्य और शक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने परिवार को सांत्वना देते हुए कहा कि दिवंगत माता के आदर्श जीवन और संस्कार सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
बबलू सिंह ने कहा: “जलेश्वरी देवी का जीवन सादगी और सेवा की मिसाल रहा है। उनके जाने से झामुमो परिवार और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।”
अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
दिवंगत माता का अंतिम संस्कार 13 अक्टूबर को सुबह 11 बजे रांची के हरमू मुक्ति धाम घाट पर किया गया। श्रद्धालुओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने अंतिम यात्रा में हिस्सा लेकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी ने विनोद पांडेय एवं उनके परिवार के लिए ईश्वर से शक्ति और धैर्य की प्रार्थना की।
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इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक और सामाजिक नेता अपने सहयोगियों के दुख में साथ खड़े रहते हैं और परिवार के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हैं। बबलू सिंह की यह पहल विनोद पांडेय और उनके परिवार को मनोबल प्रदान करने वाली है।
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परिवार और समाज के प्रति संवेदनशीलता का संदेश
इस दुख की घड़ी में हमें परिवार और समाज के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। अपने करीबी और पड़ोसियों के साथ मिलकर उन्हें सहारा दें। अपने विचार कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और इस संदेश को फैलाएं कि संवेदनशीलता और सहानुभूति समाज का बल हैं।