
#गढ़वा #मंडलडैमविवाद : झामुमो नेता धीरज दुबे ने कहा, विकास की आड़ में विस्थापन और पर्यावरणीय क्षति का खेल
- धीरज दुबे ने मंडल डैम को बताया ‘काग़ज़ी विकास’ की कहानी
- सांसद विष्णु दयाल पर लगाए केंद्र के दबाव में कार्य करने के आरोप
- परियोजना से अधिकतर लाभ बिहार को, नुकसान झारखंड को
- स्थानीय ग्रामीणों और वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट
- पुनर्विचार और वैकल्पिक योजना की मांग
जनविरोध के बीच मंडल डैम पर सियासी बयानबाज़ी तेज
गढ़वा जिले में बहुचर्चित मंडल डैम परियोजना को लेकर झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय सदस्य और मीडिया पैनलिस्ट धीरज दुबे ने पलामू के सांसद विष्णु दयाल राम पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद जनहित की बजाय एकतरफा निर्णय और ग़लत दिशा में प्रयासरत हैं, जिससे पलामू के लोगों को लाभ नहीं बल्कि व्यापक नुकसान होगा।
परियोजना से बिहार को फायदा, झारखंड को विस्थापन
धीरज दुबे का कहना है कि मंडल डैम का अधिकांश जल बिहार भेजे जाने की योजना है जबकि निर्माण स्थल गढ़वा और पलामू जिले में स्थित है। उन्होंने सवाल उठाया कि:
धीरज दुबे ने कहा: “क्या झारखंड के लोग केवल विस्थापन, जंगल कटाई और पर्यावरणीय विनाश के लिए हैं? हमें क्या मिलेगा?”
उन्होंने यह भी कहा कि सांसद विष्णु दयाल राम केंद्र सरकार के दबाव में कार्य कर रहे हैं, और ज़मीन पर जनता की आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है।
पर्यावरण और वन्यजीवों पर गंभीर खतरा
मंडल डैम का निर्माण पलामू टाइगर रिजर्व के पास हो रहा है, जिससे वहां की जैवविविधता, जंगल और वन्यजीवों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। धीरज दुबे ने कहा कि:
धीरज दुबे ने कहा: “जो नेता कभी जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा की बात करते थे, आज वे इस मुद्दे पर मौन क्यों हैं?”
उन्होंने आशंका जताई कि इस परियोजना से वन क्षेत्र की कटाई, वन्य जीवों का पलायन और प्राकृतिक संतुलन पर विनाशकारी असर पड़ सकता है।
पुनर्वास, मुआवज़ा और पारदर्शिता पर सवाल
झामुमो नेता ने आरोप लगाया कि पुनर्वास, मुआवज़ा नीति और सामाजिक आकलन की पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने कहा कि:
धीरज दुबे ने कहा: “सैकड़ों परिवार उजड़ने वाले हैं, पर अभी तक कोई स्पष्ट योजना सामने नहीं आई है। यह सीधे जनता के खिलाफ अन्याय है।”
उन्होंने सांसद पर जनसंवाद की जगह एकतरफा प्रचार करने का आरोप लगाया और कहा कि जनता को अंधेरे में रखकर डैम थोपना अलोकतांत्रिक है।
सरकार से वैकल्पिक योजना की मांग
धीरज दुबे ने सरकार से मांग की है कि इस परियोजना पर पुनर्विचार किया जाए और ऐसी योजनाएं लाई जाएं जिनसे बिना विस्थापन के विकास हो सके। उन्होंने कहा:
धीरज दुबे ने कहा: “विकास का मतलब सिर्फ़ डैम नहीं, लोगों को साथ लेकर चलना है। सरकार को पारदर्शिता और संतुलन के साथ आगे बढ़ना चाहिए।”
भविष्य में बन सकता है बड़ा आंदोलन
मंडल डैम परियोजना राजनीतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विवाद का विषय बन चुकी है। अगर जनप्रतिनिधि और सरकार संवाद, सहमति और सतर्कता का मार्ग नहीं अपनाते, तो यह परियोजना भविष्य में बड़े जनांदोलन का कारण बन सकती है।
न्यूज़ देखो: जब विकास की परिभाषा सवालों में घिर जाए
न्यूज़ देखो मानता है कि विकास योजनाएं तभी सफल होती हैं जब जनहित, पारदर्शिता और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी जाए। अगर डैम निर्माण का मतलब केवल उजड़ते गांव, कटते जंगल और बिना मुआवज़ा विस्थापन है, तो यह विकास नहीं, विनाश की प्रस्तावना है।
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