
#चंदवा #राजनीतिक_प्रतिक्रिया : झामुमो नेता जुनैद अनवर ने कहा, अगर जूता फेंकने वाला दलित, आदिवासी या मुसलमान होता तो अब तक जेल में होता।
- सीजेआई बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना को बताया मनुवादी सोच का प्रतीक।
- जुनैद अनवर ने दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता पर उठाए सवाल।
- कहा, दलित, आदिवासी, मुसलमान होते तो अब तक जेल भेजे जा चुके होते।
- मीडिया के रवैये पर भी जताई नाराजगी, कहा – लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
- गोडसे की विचारधारा को बताया समाज में नफरत फैलाने की जड़।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता जुनैद अनवर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि मनुवादी मानसिकता की झलक है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्य न केवल न्यायपालिका का अपमान हैं, बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा पर भी सीधा हमला हैं।
दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप
जुनैद अनवर ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि दिल्ली पुलिस ने इतनी गंभीर घटना के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उनका कहना था कि “देश ने कई बार देखा है कि छोटी-छोटी बातों पर दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों को कठोर धाराओं में जेल भेज दिया जाता है, लेकिन यहां अपराधी खुलेआम घूम रहा है।”
जुनैद अनवर ने कहा: “अगर जूता फेंकने वाला व्यक्ति दलित, आदिवासी या मुस्लिम होता, तो अब तक उस पर सैकड़ों मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया गया होता। यह दोहरे मापदंड का स्पष्ट उदाहरण है।”
उन्होंने कहा कि यह तो सीजेआई गवई का बड़ा हृदय है कि उन्होंने स्वयं कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन पुलिस की चुप्पी ने न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
लोकतंत्र के लिए चेतावनी
झामुमो नेता ने कहा कि इस तरह के कृत्य और उन पर कार्रवाई न होना समाज में गलत संदेश देता है। “अगर आज ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो कल यही मानसिकता भारतीय लोकतंत्र और संविधान पर बार-बार हमला करेगी,” उन्होंने कहा।
अनवर ने कहा कि इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में अब भी कुछ वर्गों को कानून से ऊपर समझा जाता है, जो बेहद चिंताजनक है।
गोडसे की विचारधारा का उल्लेख
जुनैद अनवर ने कहा कि इस तरह की घटनाएं गोडसे की विचारधारा का विस्तार हैं। “ऐसे लोग वही सोच रखते हैं जो महात्मा गांधी के हत्यारे की थी — नफरत फैलाओ, समाज को बांटो और खुद को श्रेष्ठ साबित करो,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी विचारधारा को जगह नहीं दी जा सकती। “संविधान ने सबको बराबरी का अधिकार दिया है, लेकिन कुछ ताकतें आज भी उस मूल भावना को नष्ट करने में लगी हैं।”
मीडिया के रवैये पर तीखी टिप्पणी
जुनैद अनवर ने भारतीय मीडिया को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “आज की तथाकथित गोदी मीडिया ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उन्हें केवल दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के गुनाह दिखते हैं। जब अपराध किसी ऊंचे वर्ग से जुड़ा होता है, तो वही मीडिया खामोश हो जाती है।”
अनवर ने कहा: “इस दोहरे रवैये से लोकतंत्र कमजोर होता है और समाज के दबे-कुचले वर्गों में असंतोष बढ़ता है। मीडिया को चाहिए कि वह निष्पक्ष बने और सच्चाई को बेखौफ सामने लाए।”
न्यूज़ देखो: न्याय, समानता और सच्चाई की परीक्षा
यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि न्याय और समानता की भावना पर प्रहार है। जुनैद अनवर के बयान ने समाज के उस पक्ष को उजागर किया है जहां कानून की कसौटी पर समानता अभी भी अधूरी है। दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठना और मीडिया की चुप्पी लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।
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