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झामुमो नेता मिथिलेश ठाकुर ने 1000 कांवरियों को किया रवाना, कहा—समाज को जोड़ना ही हमारी पहचान

#Garhwa #BolBamYatra : झारखंड की खुशहाली और दिशोम गुरू के स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ कांवरियों को मिली नई ऊर्जा

गढ़वा से बोल बम यात्रा की शुरुआत

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और झामुमो के केंद्रीय महासचिव मिथिलेश कुमार ठाकुर ने बुधवार को गढ़वा से बोल बम यात्रा की शुरुआत की। इस अवसर पर लगभग 1000 कांवरिए जुटे, जिन्होंने अपने घर-परिवार, झारखंड की खुशहाली और दिशोम गुरू शिबु सोरेन के स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ यात्रा प्रारंभ की।

पूर्ण व्यवस्थाओं के साथ रवाना किए गए कांवरिए

पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सभी कांवरियों के लिए बस की व्यवस्था, साथ ही रास्ते में नाश्ता और भोजन की सुविधा सुनिश्चित की। उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा सुरक्षित और संगठित तरीके से पूरी होगी

मिथिलेश ठाकुर ने कहा: “हमारी पार्टी झामुमो हमेशा सर्वजाति-सर्वधर्म सम्मान की राह पर चलती है। यहां कुछ लोग धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांटने का प्रयास करते हैं, लेकिन हम समाज को जोड़ने का काम करते हैं।”

धार्मिक माहौल और सांस्कृतिक कार्यक्रम

सुबह सभी कांवरिए पूर्व मंत्री के आवास पर जुटे, जहां से भोजन के बाद यात्रा का आरंभ हुआ। चिनियां मोड़ काली मंदिर में पूजा-अर्चना, उसके बाद रंका मोड़ संकट मोचन मंदिर और गढ़देवी मंदिर होते हुए सभी बस स्टैंड पहुंचे। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ और भक्तों ने भक्ति गीतों पर जमकर नृत्य किया

सुरक्षा और अनुशासन पर जोर

मिथिलेश ठाकुर ने सभी कांवरियों से अपील की कि साथ में जाएं और साथ में लौटें। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी की आवश्यकता नहीं है। सभी भक्तों को भरोसा दिलाया गया कि यात्रा के दौरान हर सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी

झामुमो का संदेश: एकता में शक्ति

मौके पर पूर्व मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि झामुमो न केवल राजनीतिक संगठन है, बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन झारखंड की सांस्कृतिक पहचान और भाईचारे को मजबूत करते हैं

मौके पर झामुमो जिलाध्यक्ष शंभु राम, सचिव शरीफ अंसारी, चंदन जायसवाल, रेखा चौबे, अनिता दत्त, तनवीर आलम समेत अनेक कार्यकर्ता और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

न्यूज़ देखो: धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का संगम

इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि सच्ची राजनीति वही है, जो समाज को जोड़ती है, तोड़ती नहीं। आस्था के इस पवित्र माहौल में सामाजिक सद्भाव की भावना और भी प्रगाढ़ हुई।
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