#गढ़वा #भाषाविवाद : पलामू प्रमंडल के युवाओं को मिलेगा हक,
झामुमो बोले – भाजपा राज्य में विकास नहीं पचा पा रही
- मगही, भोजपुरी और हिंदी को नियुक्ति भाषाओं में जोड़ने की मांग
- पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री को भेजा था पत्र
- झामुमो ने बैठक कर मुख्यमंत्री से आग्रह का लिया फैसला
- भाजपा भाषा को लेकर कर रही है भ्रम फैलाने की राजनीति
- स्थानीय विधायक के बयानों पर भी झामुमो ने किया पलटवार
झारखंड में भाषा को लेकर सियासत तेज, झामुमो ने दिखाई स्पष्टता
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कहा है कि पलामू प्रमंडल के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को तीसरी व चौथी श्रेणी की नियुक्तियों में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
भाषाई अड़चनों को दूर करने हेतु मगही, भोजपुरी और हिंदी को शामिल करने की मांग लेकर पार्टी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करेगी।
झामुमो के युवा नेता दीपक तिवारी ने कहा:
“झारखंड के विकास और युवाओं के हक की लड़ाई में हम पीछे नहीं हटेंगे। भाषा के नाम पर गुमराह करने की राजनीति नहीं चलने देंगे।”
पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर का पत्र बना नींव
दीपक तिवारी ने स्पष्ट किया कि जिस दिन भाषा के मुद्दे पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हुआ, उसी दिन पूर्व मंत्री श्री मिथिलेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मगही, भोजपुरी और हिंदी को नियुक्ति भाषाओं में जोड़ने की मांग की थी।
गढ़वा जिला अध्यक्ष शंभू राम की अध्यक्षता में पार्टी की बैठक कल्याणपुर में आयोजित हुई, जहां मुख्यमंत्री से सामूहिक आग्रह का निर्णय लिया गया।
भाजपा पर गंभीर आरोप, स्थानीय विधायक को घेरा
दीपक तिवारी ने कहा कि भाजपा को झामुमो की सरकार का विकास कार्य रास नहीं आ रहा।
उन्होंने स्थानीय भाजपा विधायक पर हमला बोलते हुए कहा:
“अगर वे वास्तव में जनता के लिए गंभीर होते, तो सड़क पर उतरते, अनशन करते — न कि भाषा के नाम पर झामुमो नेताओं को धमकियां देते। यह जनविरोधी और अलोकतांत्रिक है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक अधिकारियों और पुलिस से अभद्र भाषा में बात करते हैं, और आम जनता को डराते-धमकाते हैं।
झामुमो ने साफ कहा है कि ऐसी राजनीति और भ्रष्ट मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे।
झामुमो बनी जनता की आवाज
दीपक तिवारी ने दावा किया कि झामुमो एक जमीनी पार्टी है, जो जनता के अधिकारों और जरूरतों के लिए लड़ती है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से लोगों का सीधा लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि:
“राज्य के हर नागरिक, हर समाज, हर तबके के विकास में झामुमो की सरकार समर्पित है। भाजपा को यह स्वीकार नहीं, इसलिए वह विकास में बाधा डालने की राजनीति कर रही है।”
न्यूज़ देखो: भाषा नहीं, रोजगार हो प्राथमिकता
‘न्यूज़ देखो’ मानता है कि भाषा के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
यदि मगही, भोजपुरी और हिंदी को स्थानीय स्तर पर समझा-बोला जाता है, तो इन भाषाओं को नियुक्ति प्रक्रिया में स्थान देना जनभावनाओं का सम्मान होगा।
विकास और रोजगार ही राजनीति की असली कसौटी होनी चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
विकास बनाम राजनीति: सवाल जनता के हक का
इस विवाद के बीच अब बारी है जनता की आवाज़ बुलंद करने की।
क्या भाषा के नाम पर सियासत होगी या शिक्षा, रोजगार और विकास की राजनीति चलेगी?
झामुमो का कदम स्वागतयोग्य है, लेकिन उसे जमीनी स्तर पर लागू करने की ज़िम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी है।