भाजपा के आरोपों पर झामुमो का करारा जवाब – आदिवासी और दलितों के मुद्दों पर दोहरा रवैया अपना रही भाजपा : विनोद पांडेय

#झामुमो महासचिव का पलटवार, कहा – हेमंत सरकार की योजनाएं आदिवासी-मूलवासी हितैषी, भाजपा सिर्फ भ्रम फैला रही

झामुमो ने भाजपा पर साधा निशाना, बताया आरोपों को दोगला राजनीतिक खेल

रांची। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव द्वारा झारखंड सरकार पर लगाए गए आरोपों पर झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रतुल के बयान को ‘घोर राजनीतिक दोगलापन’ करार देते हुए कहा कि भाजपा को आदिवासी-दलित समुदाय की याद सिर्फ विपक्ष में आते ही आती है, सत्ता में रहते हुए उनका रवैया सबको याद है।

“हेमंत सरकार ही असली हितैषी”

विनोद पांडेय ने कहा कि वर्तमान सरकार की योजनाएं – जैसे:

इन समुदायों को सशक्त और स्वावलंबी बनाने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा अनुसूचित जाति आयोग के गठन न होने की बात झूठ और भ्रम फैलाने का प्रयास है, जबकि सरकार गंभीरतापूर्वक इस दिशा में काम कर रही है और जल्द ही आयोग का पुनर्गठन होगा।

“हेमंत सरकार लोकतांत्रिक, भाजपा तानाशाह”

मंत्री राधाकृष्ण किशोर के पत्र पर उठे सवालों को विनोद पांडेय ने लोकतंत्र का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा:

“हेमंत सोरेन सभी की राय लेने वाले संवेदनशील नेता हैं, यह भाजपा की तानाशाही सरकार नहीं है। भाजपा बताए कि क्या उसके किसी मंत्री को प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की आजादी है?”

“भाजपा बताए अपने शासनकाल का रिपोर्ट कार्ड”

विनोद पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को आदिवासी युवाओं को नौकरी देने और योजनाओं को ठप करने का जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि:

“भाजपा सिर्फ हितैषी होने का नाटक करती है, असल में वह इन वर्गों को हाशिए पर डालने की नीति अपनाती रही है।”

न्यूज़ देखो: सामाजिक न्याय पर ठोस बहस की जरूरत

झारखंड की राजनीति में आदिवासी और दलित हितों को लेकर बयानबाज़ी गरमा रही है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि राजनीतिक दल सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप नहीं, बल्कि तथ्यों के साथ सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस काम दिखाएं।
न्यूज़ देखो जनता के साथ इस बहस में भी सच की तलाश में है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनता को चाहिए वादे नहीं, प्रमाण

जनता अब सिर्फ वादे नहीं चाहती, उसे दिखने वाले परिणाम, पारदर्शिता और संवेदनशील शासन चाहिए। राजनीतिक आरोपों की आड़ में योजनाओं के हकदार वर्गों को भटकाना नहीं, बल्कि उन्हें वास्तविक लाभ पहुंचाना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए।

Exit mobile version