
#लातेहार #पर्यावरण_जागरूकता : सिद्धो-कान्हू की धरती से भगवान बिरसा मुंडा की भूमि तक निकली जनजागरूकता यात्रा, नुक्कड़ नाटक से दी जा रही ऊर्जा बदलाव की सीख।
- सारथी-झारखंड जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क की ओर से 5 से 12 नवंबर 2025 तक निकाली जा रही है यह यात्रा।
- भोगनाडीह (सिद्धो-कान्हू की धरती) से उलिहातु (भगवान बिरसा मुंडा की भूमि) तक यात्रा का विस्तार।
- यात्रा का उद्देश्य – जलवायु परिवर्तन नियंत्रण और ऊर्जा बदलाव में जनसहभागिता सुनिश्चित करना।
- नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को दिया जा रहा है पर्यावरण संरक्षण का संदेश।
- मिथिलेश कुमार ने कहा – “जंगल हमारी आजीविका हैं, इन्हें बचाना हमारा धर्म है।”
लातेहार जिले में सारथी-झारखंड जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क की ओर से “जस्ट ट्रांजिशन यात्रा 2025” का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा 5 नवंबर को भोगनाडीह (सिद्धो-कान्हू की धरती) से आरंभ होकर 12 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की भूमि उलिहातु में समाप्त होगी। इस सात दिवसीय यात्रा का उद्देश्य स्थानीय समुदायों, सामाजिक संगठनों और युवाओं के बीच जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संक्रमण और पर्यावरण संतुलन के प्रति जागरूकता फैलाना है।
उद्देश्य और प्रेरणा: जलवायु न्याय के लिए जनभागीदारी
इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए सामुदायिक स्तर पर समाधान तलाशना और जनभागीदारी को बढ़ाना है। यात्रा के दौरान आयोजक मंडल नुक्कड़ नाटक, संवाद और जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि जलवायु संकट से लड़ना केवल सरकार या विशेषज्ञों का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
मिथिलेश कुमार, सचिव (MAA संस्था) ने कहा: “हमारी आजीविका जंगलों से जुड़ी है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण हम कई बीमारियों और प्राकृतिक असंतुलन से जूझ रहे हैं। इसलिए यह यात्रा समाज को जागरूक करने और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने का माध्यम है।”
यात्रा का मार्ग और प्रमुख पड़ाव
यह यात्रा सिद्धो-कान्हू की बलिदानी भूमि भोगनाडीह से आरंभ होकर बरवाडीह, गारू, कोटाम, केड पंचायत जैसे क्षेत्रों से गुजरती हुई उलिहातु पहुंचेगी। लातेहार जिले में यह यात्रा मल्टी आर्ट एसोसिएशन (MAA) के नेतृत्व में आगे बढ़ाई जा रही है। यात्रा बरवाडीह प्रखंड के गाड़ी गांव, गारू प्रखंड के अरमू चौक और कोटाम पंचायत के साल्वे गांव में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक कर चुकी है।
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद नीलाम्बर-पिताम्बर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, इसके बाद गांधी चौक पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आयोजकों ने इसे जनभागीदारी आधारित आंदोलन बताते हुए स्थानीय युवाओं और संगठनों को इससे जुड़ने का आह्वान किया।
आयोजन में शामिल प्रमुख लोग
इस यात्रा में गुलाब चंद्र प्रजापति (यात्रा संयोजक), मुन्ना झा (सारथी नेटवर्क संयोजक), छोटेलाल सोनी (लेस्लीगंज चैम्बर अध्यक्ष), अनूप तिवारी (जन आकांक्षा फाउंडेशन सचिव), मिथिलेश कुमार (MAA सचिव), शत्रुघ्न कुमार, अनिल वर्मा, रामकृष्ण परमहंस, राहुल विश्वकर्मा, माधव शर्मा, ओमकार, सत्यम, प्रतीक, सिमरन, सुभाष चंद्र, इश्तेयाक अहमद, सैफ सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया।
इन सभी ने यह संकल्प लिया कि वे अपने क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता की रक्षा और सतत ऊर्जा उपयोग को बढ़ावा देंगे।
न्यूज़ देखो: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सामाजिक एकता का उदाहरण
“जस्ट ट्रांजिशन यात्रा 2025” झारखंड की धरती से निकला वह जनआंदोलन है जो जलवायु न्याय को समाज के केंद्र में लाने की कोशिश कर रहा है। यह यात्रा न केवल पर्यावरण की बात करती है, बल्कि ग्रामीण विकास और आजीविका के संतुलन को भी रेखांकित करती है। सरकार और समाज दोनों को इस पहल से प्रेरणा लेकर सामूहिक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जलवायु न्याय की ओर जनयात्रा
अब समय आ गया है कि हम केवल बातें नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाएं। जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन का सच्चा खतरा बन चुका है, और इसे रोकने की शुरुआत स्थानीय स्तर से ही संभव है।
आइए, इस जनजागरूकता की मशाल को आगे बढ़ाएं — पेड़ लगाएं, ऊर्जा बचाएं, और आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित बनाएं।
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