
#कांडी #शिक्षाकीउड़ान : बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र की बेटी आकृति कुमारी ने गांव में रहकर सेल्फ स्टडी के बल पर NEET-UG में शानदार सफलता पाकर पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया।
- कांडी प्रखंड के ग्राम खरौंधा की आकृति कुमारी ने NEET-UG 2025 में पाई सफलता।
- फुलो झानो मेडिकल कॉलेज, दुमका में MBBS कोर्स में हुआ चयन।
- बिना कोचिंग, सेल्फ स्टडी के दम पर पाई ऐतिहासिक उपलब्धि।
- राज्य मेरिट रैंक 583, पूरे जिले में खुशी की लहर।
- समाजसेवियों व जनप्रतिनिधियों ने दी बधाई, आकृति बनीं प्रेरणा स्रोत।
पलामू जिले के बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के कांडी प्रखंड स्थित ग्राम खरौंधा की बेटी आकृति कुमारी ने यह साबित कर दिया है कि सच्ची लगन और आत्मविश्वास से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। गांव में रहकर स्वअध्ययन के माध्यम से आकृति ने NEET-UG 2025 परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त की और फुलो झानो मेडिकल कॉलेज, दुमका में MBBS कोर्स के लिए चयनित हुईं।
गांव की मिट्टी में पली आकृति ने रचा इतिहास
आकृति कुमारी ने यह उपलब्धि हासिल कर न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रौशन किया है। पिता दुर्गेश कुमार दुबे और माता नीलू देवी की यह प्रतिभावान पुत्री हमेशा से शिक्षा के प्रति समर्पित रही है। उनका राज्य मेरिट रैंक 583 रहा, जो उनके कठिन परिश्रम और अटूट आत्मविश्वास का परिणाम है।
गांव में सीमित संसाधनों के बीच आकृति ने बिना किसी कोचिंग या विशेष गाइडेंस के लगातार पढ़ाई की। उन्होंने बताया कि उन्होंने इंटरनेट, पुराने प्रश्नपत्रों और समय प्रबंधन के सहारे अपनी तैयारी की। आकृति की सफलता ने यह सिद्ध किया है कि आज भी सच्ची मेहनत और दृढ़ निश्चय किसी भी कठिनाई को मात दे सकता है।
क्षेत्र में खुशी की लहर, लोगों ने कहा – “यह गांव की जीत है”
आकृति की सफलता की खबर जैसे ही सामने आई, पूरे कांडी प्रखंड और बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में हर्ष की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने कहा कि आकृति ने यह दिखा दिया कि गांव की मिट्टी से भी डॉक्टर बनना संभव है, बस मेहनत और समर्पण की जरूरत है।
युवा समाजसेवी अभिमन्यु सिंह उर्फ बबलू सिंह, पूर्व प्रत्याशी अंजू सिंह, समाजसेवी राहुल कुमार दुबे, भाई निखिल आनंद, अखिल आनंद, क्षेत्र के कई मुखिया, शिक्षक और समाजसेवियों ने आकृति को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
अभिमन्यु सिंह उर्फ बबलू सिंह ने कहा: “आकृति की सफलता यह संदेश देती है कि यदि नीयत सच्ची और मेहनत निरंतर हो, तो गांव की मिट्टी में रहकर सेल्फ स्टडी से बिना कोचिंग के भी सपनों को हकीकत बनाया जा सकता है।”
आकृति का सपना – सेवाभावी डॉक्टर बनना
आकृति कुमारी ने कहा कि उनका सपना एक सेवाभावी डॉक्टर बनकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना है। वह चाहती हैं कि कोई भी मरीज इलाज के अभाव में परेशान न हो। उनकी यह सोच समाज के लिए प्रेरणादायक है और ग्रामीण युवाओं के लिए एक नई राह दिखाती है।
आकृति कुमारी ने कहा: “मेरा लक्ष्य है कि गांव और छोटे इलाकों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले। मैं अपनी शिक्षा को समाज के हित में समर्पित करना चाहती हूं।”
न्यूज़ देखो: गांव की बेटी बनी उम्मीद की मिसाल
आकृति कुमारी की कहानी सिर्फ एक सफलता नहीं, बल्कि एक संदेश है कि सपनों को पूरा करने के लिए शहर नहीं, सच्ची लगन चाहिए। कांडी जैसे ग्रामीण क्षेत्र से यह उपलब्धि यह साबित करती है कि अवसर हर किसी के पास होता है, फर्क सिर्फ सोच और मेहनत का है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रेरणा की उड़ान, गांव से मिली मंज़िल
आकृति की यह सफलता उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं। उन्होंने दिखाया कि मंज़िलें उन्हीं को मिलती हैं जो रुकते नहीं, ठान लेते हैं।
अब समय है कि हम भी अपने गांव की बेटियों और बेटों को आगे बढ़ाने में सहयोग दें।
अपनी राय कमेंट करें, इस प्रेरणादायक खबर को साझा करें और हर गांव से ऐसी एक नई आकृति को आगे लाने का संकल्प लें।




