#लोहरदगा #धार्मिक_समारोह : गुदरी बाजार ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में नवाहृ पारायण महायज्ञ के दौरान कन्या पूजन एवं साध्वी सम्मान का आयोजन
- गुदरी बाजार ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में रामचरितमानस नवाहृ पारायण महायज्ञ के उपलक्ष्य में विशेष पूजन कार्यक्रम आयोजित।
- नव कन्याओं का पूजन सुनीता देवी के आवास हटिया गार्डन में किया गया।
- साध्वी श्री कुमारी शिवांजलि किशोरी का सम्मान कर महायज्ञ की गरिमा बढ़ाई गई।
- प्रमुख रूप से उपस्थित थे सुनीता देवी, मुस्कान रानी, अशोक कसकर, शेखर दुबे, जितेंद्र मिश्रा, ईश्वर कुमार, अमित कुमार।
- आयोजन में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं का आदान-प्रदान हुआ।
लोहरदगा में गुदरी बाजार स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में रामचरितमानस के नवाहृ पारायण महायज्ञ का आयोजन भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विशेष पूजन और सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें नव कन्याओं का पूजन और साध्वी श्री कुमारी शिवांजलि किशोरी का सम्मान शामिल था। कार्यक्रम के माध्यम से धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को युवाओं और समुदाय के बीच जीवित रखा गया।
कन्या पूजन और साध्वी सम्मान
नव कन्याओं का पूजन विशेष रूप से सुनीता देवी द्वारा हटिया गार्डन स्थित अपने आवास पर किया गया। इस पूजन में धार्मिक मंत्रों के उच्चारण और पारंपरिक विधि-विधान का पालन करते हुए कन्याओं को आशीर्वाद दिया गया। साध्वी श्री कुमारी शिवांजलि किशोरी को सम्मानित कर उनके योगदान और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की सराहना की गई।
सुनीता देवी ने कहा: “कन्या पूजन और साध्वी का सम्मान हमारी संस्कृति और धार्मिक परंपरा को मजबूत करने का तरीका है। हम चाहते हैं कि बच्चे और युवा इस पावन आस्था को आगे बढ़ाएं।”
प्रमुख उपस्थितगण और आयोजन
कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित थे मुस्कान रानी, अशोक कसकर, शेखर दुबे, जितेंद्र मिश्रा, ईश्वर कुमार, अमित कुमार और अन्य गणमान्य लोग। इनकी सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम को सफल और प्रभावशाली बनाया।
धार्मिक आस्था का संगम
कार्यक्रम के दौरान मंदिर परिसर और आसपास का माहौल पूर्णतः भक्तिमय था। पारायण पाठ के माध्यम से रामचरितमानस की शिक्षाओं का प्रसार हुआ और समुदाय में एकता एवं आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश दिया गया।
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यह कार्यक्रम दर्शाता है कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से न केवल आस्था का पोषण होता है, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता भी बढ़ती है। कन्या पूजन और साध्वी सम्मान से युवा पीढ़ी को संस्कार और आदर्शों की सीख मिलती है।
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आस्था और संस्कार को बढ़ावा दें
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