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संत जेवियर्स कॉलेज महुआडांड़ में पारंपरिक उल्लास के साथ करम पर्व संध्या संपन्न

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#लातेहार #करमपर्व : आदिवासी संस्कृति का अनोखा संगम छात्रों और शिक्षकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी
  • संत जेवियर्स कॉलेज महुआडांड़ में करम पर्व का आयोजन हुआ।
  • छात्र-छात्राओं ने करम डाल की पूजा और पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया।
  • डॉ. प्यारी कुजूर ने करम कथा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।
  • प्रवीण मिंज ने पर्व को सामाजिक एकता और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक बताया।
  • प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोस ने करम पर्व को भाईचारे और जीवन मूल्यों से जोड़कर समझाया।

संत जेवियर्स कॉलेज, महुआडांड़ में आदिवासी समाज के प्रमुख पर्व करम का आयोजन हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। पूरे परिसर में ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियों ने एक उत्सवमय वातावरण बना दिया।

करम डाल की पूजा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

छात्र-छात्राओं ने करम डाल की विधिवत पूजा-अर्चना की और गीत-संगीत के माध्यम से करम देवता से परिवार की खुशहाली और भाई-बहनों की लंबी आयु की कामना की। पारंपरिक नृत्यों और सामूहिक भागीदारी ने इस उत्सव को और भी जीवंत बना दिया।

करम कथा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

डॉ. प्यारी कुजूर ने छात्रों को करम कथा सुनाई और इसकी पौराणिक एवं सांस्कृतिक महत्ता को विस्तार से बताया। वहीं, प्रवीण मिंज ने अपने वक्तव्य में कहा कि करम पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह प्रकृति संरक्षण, सामूहिकता और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

शिक्षकों और प्राचार्य के विचार

प्रो. अभय सुकुट डुंगडुंग ने कहा कि यह पर्व हमें अपनी संस्कृति और लोकपरंपरा से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोस ने अपने संबोधन में कहा—

“करम पर्व सामाजिक भाईचारे और प्रकृति प्रेम का संदेश देता है। ऐसे अवसर छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने और जीवन मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं।”

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

पूरे दिन कॉलेज परिसर में उल्लास का माहौल बना रहा। पारंपरिक गीत-संगीत, व्यंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इसे यादगार बना दिया। इस अवसर पर प्रो. रोनित, प्रो. अंशु अंकिता, प्रो. बंसति, प्रो. विक्रम रजत, प्रो. स्वाति, प्रो. रेचेल सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद रहे।

न्यूज़ देखो: परंपरा और आधुनिकता का संगम

करम पर्व केवल आस्था का नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक है। महुआडांड़ में हुआ यह आयोजन छात्रों के लिए अपनी परंपराओं को करीब से समझने का अवसर बना।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति से जुड़ाव की सीख

आज की युवा पीढ़ी को ऐसे अवसर अपनी जड़ों से जुड़ने और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की दिशा में प्रेरित करते हैं। अब समय है कि हम सब इस परंपरा को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि हमारी संस्कृति और अधिक सशक्त बने।

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