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डुमरी प्रखंड में करम पूजा धूमधाम से संपन्न: आस्था और श्रद्धा का उमड़ा सैलाब

#डुमरी #करमपर्व : गांव-गांव में महिलाओं और युवतियों ने करम कथा सुनकर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की

डुमरी प्रखंड में इस वर्ष करम पूजा ने एक बार फिर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। गांव-गांव में महिलाओं और युवतियों ने सजधज कर पूजा स्थलों पर पहुंचकर करम कथा सुनी और करम वृक्ष की पूजा-अर्चना की। पूरे वातावरण में मंगल गीतों, मांदर की थाप और उल्लास का माहौल छा गया।

विधिवत पूजा और आस्था का माहौल

पूजा-अर्चना के दौरान पंडिताइन ने मंत्रोच्चारण के बीच पूरे विधि-विधान से करम पूजा संपन्न कराया। श्रद्धालुओं ने करम देवता से परिवार की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और गांव-समाज की उन्नति की प्रार्थना की। इस दौरान पारंपरिक रीति-रिवाज का पालन करते हुए पूजा स्थल पर महिलाएं पूरी श्रद्धा से शामिल हुईं।

गीत-संगीत और लोक परंपराओं की गूंज

पूरे डुमरी प्रखंड में करम पूजा की धूम रही। घर-घर में पारंपरिक पकवान बने और लोक गीतों की गूंज सुनाई दी। रातभर महिलाएं करम गीत गाती रहीं और मांदर की थाप पर झूमती-थिरकती नजर आईं। इस दौरान गांव पूरी तरह सांस्कृतिक रंग में रंगा दिखा।

ग्रामीणों ने साझा की भावनाएं

ग्रामीणों का कहना था कि करम पूजा केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक एकजुटता और प्रेमभाव को बढ़ाने का माध्यम भी है।

एक ग्रामीण महिला ने कहा: “करम पूजा हमारी आस्था और संस्कृति की आत्मा है। यह पर्व हमें भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है।”

सामाजिक एकता का प्रतीक बना पर्व

डुमरी प्रखंड के विभिन्न गांवों में इस मौके पर सभी लोग मिलकर शामिल हुए। बुजुर्गों ने युवा पीढ़ी को करम पूजा की परंपराएं समझाईं और उन्हें आगे बढ़ाने का संदेश दिया।

न्यूज़ देखो: संस्कृति और प्रकृति से जुड़ाव का पर्व

करम पूजा ने एक बार फिर यह साबित किया कि हमारी लोक संस्कृति आज भी जीवंत और मजबूत है। इस पर्व के जरिए भाई-बहन का प्रेम, सामाजिक सौहार्द और प्रकृति के प्रति आस्था जैसे मूल्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

परंपरा को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी

करम पूजा जैसी धरोहर हमें समाज में एकता और प्रकृति के संरक्षण का संदेश देती है। अब समय है कि हम युवा पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि डुमरी की सांस्कृतिक पहचान और मजबूत हो।

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