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सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सलडेगा सिमडेगा में भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया करम पूजा महोत्सव

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#सिमडेगा #करमपूजा : हजारों भक्तों की उपस्थिति में पूजन विधि और करम धरम कथा का आयोजन
  • सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सलडेगा में करम पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
  • डीसी कंचन सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारंभ।
  • भास्कर मणि पाठक ने करम धरम की कथा सुनाई।
  • सात स्थानों पर करम राजा की स्थापना कर पूरी विधि-विधान से पूजा हुई।
  • 450 से अधिक व्रती और हजारों भक्तों ने उत्सव में लिया हिस्सा।

सिमडेगा जिले के सलडेगा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में करम पूजा महोत्सव इस वर्ष भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया। वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड की शैक्षिक इकाई श्रीहरि वनवासी विकास समिति द्वारा संचालित विद्यालय परिसर में मंगलवार को आयोजित इस उत्सव में जिलेभर से भक्तगण भारी संख्या में पहुंचे।

विधिवत पूजन और शुभारंभ

कार्यक्रम का उद्घाटन सिमडेगा उपायुक्त कंचन सिंह, समाजसेवी भरत प्रसाद और झारखंड प्रदेश अध्यक्ष वनवासी कल्याण केंद्र सुजान मुंडा ने सरस्वती माता, भारत माता और ‘ॐ’ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद पूजन कार्यक्रम शुरू हुआ।

करम धरम कथा और पूजा विधि

पंडित भास्कर मणि पाठक ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा कराई और उपस्थित व्रतियों को करम धरम की कथा विस्तारपूर्वक सुनाई। श्रद्धालु पूरे भाव और आस्था से कथा श्रवण करते हुए करम देवता से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते दिखे।

करम राजा की स्थापना और सामूहिक सहभागिता

इस अवसर पर सात अलग-अलग स्थानों पर करम राजा की स्थापना की गई और सामूहिक रूप से व्रतियों ने पूजा-अर्चना में भाग लिया। कुल 450 से अधिक व्रती विधिवत पूजन में शामिल हुए, जबकि हजारों की संख्या में लोग करम कथा श्रवण और महोत्सव के साक्षी बने।

सांस्कृतिक और धार्मिक उल्लास

महोत्सव में शामिल भक्तों ने इसे न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सांस्कृतिक पहचान से भी जोड़ा। लोगों का कहना था कि करम पूजा हमारी परंपरा, प्रकृति के प्रति सम्मान और सामूहिक एकता का प्रतीक है।

न्यूज़ देखो: संस्कृति और आस्था को जोड़ने वाला उत्सव

करम पूजा जैसे पर्व समाज को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। सलडेगा का यह आयोजन साबित करता है कि जब आस्था और संस्कृति मिलती है, तो समाज में एकता और उत्साह दोनों मजबूत होते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

करम पूजा हमें परंपरा और प्रकृति से जोड़ता है

यह पर्व हमें सिखाता है कि हमारी संस्कृति सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी है। अब समय है कि हम सब इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि संस्कृति का यह संदेश दूर-दूर तक फैले।

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