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पलामू के कौशल किशोर जायसवाल को जापान में मिली ट्री मैन ऑफ इंडिया की उपाधि — पेड़ों को राखी बांधने के वन राखी मूवमेंट के प्रणेता

#पलामू #पर्यावरणसंरक्षण : पर्यावरण धर्म को जीवन का संकल्प बनाने वाले कौशल किशोर जायसवाल ने दुनिया को दिखाया हरियाली का संदेश

1966 में पलामू के छतरपुर थाना क्षेत्र के डाली गांव में जन्मे कौशल किशोर जायसवाल को बचपन से ही जंगलों और पेड़ों से गहरा लगाव था। उसी वर्ष क्षेत्र में पड़ी भयानक सूखा और अकाल की स्थिति ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया कि यदि पर्यावरण की रक्षा नहीं हुई, तो आने वाली पीढ़ियां संकट में होंगी। अपने माता-पिता से प्रेरणा लेकर उन्होंने पेड़ों की रक्षा के लिए एक अद्वितीय परंपरा शुरू की — पेड़ों को राखी बांधना, ताकि लोगों में उनके प्रति अपनापन और जिम्मेदारी का भाव जागे।

वन राखी मूवमेंट की शुरुआत और विस्तार

अकाल के दौरान ग्रामीणों के साथ मिलकर जब कौशल किशोर ने पेड़ों को राखी बांधी, तो यह कदम जल्द ही पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। धीरे-धीरे इस परंपरा ने अभियान का रूप ले लिया, जिसे नाम मिला — वन राखी मूवमेंट। 1977 से अब तक वे 32 लाख से अधिक पेड़ों को राखी बांध चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने 52 लाख पौधे निःशुल्क वितरित किए हैं, जिससे हजारों एकड़ भूमि हरियाली से आच्छादित हो चुकी है।

संस्थाएं और मिशन

कौशल किशोर जायसवाल विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान नामक संस्था का संचालन करते हैं, जिसके माध्यम से वे लोगों को पेड़ लगाने और बचाने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने पर्यावरण धर्म मंदिर की भी स्थापना की, जहां सैकड़ों प्रजातियों के पेड़-पौधे संरक्षित हैं। उनका संकल्प है कि अपने जीवनकाल में एक करोड़ पौधे लगाने और बचाने का लक्ष्य पूरा करेंगे।

वैश्विक पहचान और विदेश यात्राएं

पर्यावरण के इस अनोखे संदेश को उन्होंने केवल भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, भूटान, वर्मा (म्यांमार) और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी फैलाया। इन यात्राओं में उन्होंने वहां के नागरिकों को पेड़ों के महत्व और राखी बांधने की परंपरा के बारे में जागरूक किया। इस पहल को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने सराहा।

जापान में मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

हाल ही में, जापान के टोक्यो ग्रैंड निको ड्राइवर रिसर्च वार्ड और डब्लू ओसाका में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कौशल किशोर जायसवाल को ट्री मैन ऑफ इंडिया की उपाधि दी गई। इस उपाधि के जरिए उन्हें वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।

कौशल किशोर जायसवाल ने कहा: “बदलते वक्त में पर्यावरण को बचाना अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। जब तक हम पेड़ों को अपना परिवार मानकर उनकी रक्षा नहीं करेंगे, तब तक धरती सुरक्षित नहीं रह सकती।”

शिक्षा जगत में योगदान की पहचान

उनके पर्यावरणीय कार्यों को मान्यता देते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने उनकी जीवनी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है, ताकि नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके और प्रकृति संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बना सके।

11 मूल मंत्र और पर्यावरण धर्म

कौशल किशोर जायसवाल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 11 मूल मंत्र जारी किए हैं, जिन्हें वे पर्यावरण धर्म का हिस्सा मानते हैं। इनमें जल, वायु, भूमि और पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए सरल और प्रभावी उपाय शामिल हैं। वे हर नागरिक से इन सिद्धांतों का पालन करने की अपील करते हैं।

न्यूज़ देखो: पर्यावरण प्रहरी की मिसाल

कौशल किशोर जायसवाल की कहानी यह साबित करती है कि एक व्यक्ति भी अपनी सोच और संकल्प से पूरी दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। पेड़ों को राखी बांधने जैसी संवेदनशील परंपरा को जनआंदोलन में बदलना और उसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना उनके समर्पण का प्रमाण है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

प्रकृति प्रेम से बनेगी सुरक्षित धरती

आइए हम सब मिलकर पेड़ों को अपना परिवार मानें, उनकी रक्षा का संकल्प लें और अपने आसपास हरियाली फैलाएं। इस लेख को पढ़कर आप भी अपने क्षेत्र में हरियाली अभियान का हिस्सा बनें, अपने विचार कमेंट में साझा करें और इसे अपने दोस्तों व परिवार के साथ साझा करें, ताकि प्रेरणा का यह संदेश दूर-दूर तक पहुंचे।

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