
#गढ़वा #भ्रष्टाचार_मामला : ग्रामीणों ने उपायुक्त को दिया आवेदन — आवास योजना में घूसखोरी और धमकी का आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग
- केतार प्रखंड के परती कुशवानी पंचायत में आवास योजना के नाम पर घूसखोरी का मामला उजागर।
- ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुखिया मुन्नी देवी ने आवास दिलाने के नाम पर लाखों रुपये वसूले।
- विरोध करने वाले ग्रामीणों को फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है।
- ग्रामीणों ने उपायुक्त गढ़वा से निष्पक्ष जांच और राशि वापसी की मांग की।
- स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का भी ग्रामीणों ने जताया संदेह।
- ग्रामीण बोले — पंचायत भवन की जगह मुखिया घर से करती हैं सारा कामकाज।
गढ़वा जिले के केतार प्रखंड अंतर्गत परती कुशवानी पंचायत में आवास योजना के नाम पर रिश्वतखोरी और धमकी का बड़ा मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत की मुखिया मुन्नी देवी ने अबुआ आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ दिलाने के नाम पर उनसे लाखों रुपये की वसूली की है। इस संबंध में ग्रामीणों ने उपायुक्त गढ़वा को एक लिखित शिकायत आवेदन सौंपते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है।
ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप
ग्राम परती कुशवानी के कई ग्रामीणों ने बताया कि योजना का लाभ दिलाने के लिए मुखिया या उसके प्रतिनिधियों द्वारा उनसे रुपये मांगे गए। पैसे देने के बाद भी उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला। जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो उन्हें धमकाया गया और कहा गया कि अगर ज्यादा आवाज़ उठाई तो उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिए जाएंगे।
ग्रामीणों के अनुसार, मुखिया मुन्नी देवी पंचायत भवन में बैठकर जनता से नहीं मिलतीं, बल्कि अपने घर से ही पंचायत कार्यों का संचालन करती हैं। इससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
पहले भी दी जा चुकी थी शिकायत
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहले भी केतार प्रखंड विकास पदाधिकारी को इस मामले की शिकायत दी थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों को संदेह है कि स्थानीय स्तर पर मिलीभगत के कारण शिकायतों को दबा दिया गया है।
एक ग्रामीण ने कहा कि मुखिया के कुछ समर्थक खुलेआम धमकी दे रहे हैं कि अगर किसी ने शिकायत की तो उसे झूठे केस में फंसा दिया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि आवास योजना का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा, बल्कि इसे कुछ लोगों के लिए कमाई का जरिया बना दिया गया है।
जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीण जनता ने उपायुक्त गढ़वा से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी मुखिया समेत सभी संबंधित पदाधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन ग्रामीणों से पैसे लिए गए हैं, उन्हें उनकी राशि वापस दिलाई जाए और पात्र परिवारों को योजना का वास्तविक लाभ प्रदान किया जाए।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि इस मामले की सही तरीके से जांच की जाए तो पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की कई परतें खुलेंगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं ग्रामीण योजनाओं के प्रति लोगों के विश्वास को कमजोर करती हैं और गरीब लाभुकों के अधिकारों का हनन करती हैं।

न्यूज़ देखो: पंचायत स्तर पर पारदर्शिता की सख्त जरूरत
परती कुशवानी पंचायत का यह मामला झारखंड में पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं में भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। जब जनता की योजनाओं में ही जनता से घूस वसूली होने लगे, तो यह न केवल शासन की विफलता है बल्कि सामाजिक न्याय पर भी चोट है। प्रशासन को अब ऐसी शिकायतों पर केवल कागज़ी कार्रवाई नहीं, बल्कि सख्त और उदाहरण पेश करने वाली कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि जनता का शोषण करने की हिम्मत न कर सके।
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ईमानदार शासन ही लोकतंत्र की नींव
पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी ही सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। अब समय है कि जनता अपनी आवाज़ उठाए, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हो और निष्पक्ष शासन की मांग करे। आइए, इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट करें और मिलकर यह संदेश फैलाएं कि जनता की योजनाएं जनता के लिए ही रहें — किसी के निजी लाभ का माध्यम नहीं बनें।