
#केतार #मानवीय_संवेदना : बलिगढ़ पंचायत के दिवंगत शिक्षक के श्राद्धकर्म में पहुंचकर किया सहयोग — संगीत और शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने वाले धनंजय की असामयिक मौत से शोक
- दासीपुर गांव निवासी शिक्षक धनंजय विश्वकर्मा का अचानक हुआ निधन
- मुखिया संघ अध्यक्ष मूंगा साह ने परिजनों को आर्थिक सहयोग दिया
- शिक्षक होने के साथ संगीत में भी थी मृतक की गहरी रुचि और पहचान
- मूंगा साह ने शिक्षक के योगदान को बताया अपूरणीय क्षति
- विजय गुप्ता सहित कई स्थानीय लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे
श्रद्धांजलि के साथ आर्थिक सहायता
केतार प्रखंड के बलिगढ़ पंचायत अंतर्गत दासीपुर गांव निवासी शिक्षक धनंजय विश्वकर्मा के श्राद्धकर्म में मानवीय संवेदना का भाव देखने को मिला।
मुकुंदपुर पंचायत के मुखिया एवं मुखिया संघ अध्यक्ष मूंगा साह ने मृतक के परिजनों से मिलकर न सिर्फ संवेदना प्रकट की, बल्कि श्राद्धकर्म हेतु आर्थिक सहयोग भी किया।
धनंजय विश्वकर्मा बीते 15 वर्षों से सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे।
उनका आकस्मिक निधन परिवार और समाज के लिए गहरी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
शिक्षा और संगीत से जुड़ी थी पहचान
मूंगा साह ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि धनंजय विश्वकर्मा एक मधुरभाषी और सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे,
जिन्होंने शिक्षा के साथ-साथ संगीत क्षेत्र में भी अलग पहचान बनाई थी।
कम उम्र में उनका जाना केवल परिवार ही नहीं, पूरे क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है।
मुखिया मूंगा साह ने कहा:
“धनंजय विश्वकर्मा ने समाज को शिक्षा और संगीत दोनों रूपों में बहुत कुछ दिया।
उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।”
सामाजिक एकजुटता का उदाहरण
इस मौके पर विजय गुप्ता सहित कई स्थानीय लोग उपस्थित थे और
परिवार को ढांढस बंधाया।
ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों द्वारा दिया गया सहयोग सामाजिक एकजुटता का परिचायक है।
न्यूज़ देखो: संवेदना और सहयोग का मानवीय चेहरा
न्यूज़ देखो इस पहल को एक सकारात्मक सामाजिक संकेत मानता है।
जब जनप्रतिनिधि समाज के हर सुख-दुख में खड़े दिखते हैं,
तब लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं।
मूंगा साह द्वारा किया गया यह सहयोग केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक आधार भी है,
जो शोकाकुल परिवार के लिए आश्वासन बनता है कि समाज अब भी साथ है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदना से बनती है सामाजिक सरोकार की ज़मीन
ऐसी घटनाएं हमें यह एहसास कराती हैं कि मानवीयता, संवेदना और सहयोग ही
सच्चे सामाजिक मूल्यों की पहचान हैं।
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