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शरद पूर्णिमा पर चांदनी में रखी खीर से मिलती है अमृत वर्षा और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

#हिंदूधर्म #शरदपूर्णिमा : शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने और पूजा करने की परंपरा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

शरद पूर्णिमा की रात को विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त है। मान्यता है कि इसी दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति आती है। खीर को खुले आसमान में रखना इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चंद्रमा की किरणों से उसमें अमृत जैसी ऊर्जा आ जाती है। इसे सुबह खाने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

मां लक्ष्मी का अवतरण और पूजन विधि

शरद पूर्णिमा की रात समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसी कारण इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन किया जाता है। घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना, खीर रखना और परिवार के सभी सदस्यों के साथ पूजा करना शुभ माना जाता है। कई जगह कुंवारी कन्याएं सूर्य और चंद्र देव की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

खीर रखने की परंपरा और लाभ

शरद पूर्णिमा के दिन खीर को खुले आसमान में रखा जाता है ताकि चंद्रमा की रोशनी उसकी ऊर्जा से अमृत में परिवर्तित हो जाए। ऐसा करने से इसे खाने वाले को:

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात खीर खाने से इंसान का भाग्योदय होता है और मां लक्ष्मी की कृपा से घर में समृद्धि आती है।

रासलीला और सांस्कृतिक महत्व

शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण ने इसी रात वृंदावन में गोपियों के साथ अद्भुत महारास का आयोजन किया था। यह न केवल प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि आनंद और दिव्यता का संदेश भी देती है। इस दिन व्रत और भक्ति करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

न्यूज़ देखो: शरद पूर्णिमा की रात खीर और पूजा का आध्यात्मिक महत्व

शरद पूर्णिमा न केवल धार्मिक अवसर है बल्कि यह परंपरा और संस्कृति को जोड़ने का माध्यम भी है। खीर को चांदनी में रखना और पूजा-अर्चना करना हमें अपने धार्मिक मूल्यों और प्राकृतिक चक्र से जोड़ता है। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी की आराधना और भक्ति घर में सुख-समृद्धि का संदेश देती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शरद पूर्णिमा पर अपनाएँ परंपरा और आध्यात्मिक अनुशासन

आज शरद पूर्णिमा है, इस अवसर पर अपने घर में खीर रखें, दीप जलाएं और माता लक्ष्मी का स्वागत करें। अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस परंपरा को साझा करें, अपने अनुभव कमेंट में लिखें और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना फैलाएं। अपने जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य सुनिश्चित करें, और आध्यात्मिक अनुशासन अपनाकर आत्मिक शांति प्राप्त करें।

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