खेल के मैदान पर राजनीति की बिसात: आनंद सिन्हा से उलझना किस संघ को भारी पड़ेगा?


गढ़वा के खेल आयोजक आनंद सिन्हा की नाराज़गी

आनंद सिन्हा जो पिछले 23 वर्षों से गढ़वा में स्कूली क्रिकेट प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं, इस बार खेल संघों की राजनीति से नाराज़ हैं। उनके अनुसार, खेलों में राजनीति के हस्तक्षेप से खिलाड़ियों का भविष्य और आयोजनों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

आनंद सिन्हा का सफर
आनंद सिन्हा, जो खुद एक पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी हैं, ने स्कूली क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत की थी। यह आयोजन हर साल गढ़वा के गोविंद स्कूल और कन्या मध्य विद्यालय के मैदान में हुआ करता था। लेकिन पिछले दो वर्षों से कन्या मध्य विद्यालय का मैदान स्टेडियम निर्माण के लिए आरक्षित कर दिया गया था। निर्माण के बाद यह स्टेडियम सभी खेलों के लिए उपयुक्त नहीं रहा और फुटबॉल के लिए ही तैयार किया गया।

स्टेडियम में मैच रद्द होना
इस साल की प्रतियोगिता के दौरान, आनंद सिन्हा ने सोचा कि स्कूली खिलाड़ियों को स्टेडियम में खेल का अनुभव मिल सके, लेकिन अचानक एक खेल संघ के हस्तक्षेप के कारण उनके प्रयासों को झटका लगा। मैच रद्द कर दिए गए, और यह दिखाया गया कि खेल के बजाय, राजनीति और संघों की गतिविधियों का दबाव अधिक था।

खेल संघों के लिए सवाल और चेतावनी
आनंद सिन्हा जैसे अनुभवी आयोजक के साथ उलझने से यह सवाल उठता है कि क्या यह खेल संघ राजनीतिक लाभ के लिए खेल को प्रभावित कर रहे हैं? और, क्या यह भविष्य में उनके लिए हानिकारक हो सकता है? इसने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि खेल की दुनिया में राजनीति का क्या स्थान है।

खेल के मैदान पर राजनीति की बिसात कब खत्म होगी, यह गढ़वा के हर खेल प्रेमी के मन में सवाल है। ‘न्यूज़ देखो’ पर बने रहें और ऐसे अहम मुद्दों पर हमारी नजर बनाए रखें।


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