#गढ़वा #क्षत्रिय_सम्मेलन : बंधन मैरेज हॉल में क्षत्रिय समाज के बुद्धिजीवियों, युवाओं और वरिष्ठों ने एकजुटता और शिक्षा के माध्यम से संगठन सशक्त करने का लिया संकल्प
- गढ़वा के बंधन मैरेज हॉल में हुआ क्षत्रिय समाज का भव्य सम्मेलन।
- पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह, पूर्व एमएलसी प्रवीण सिंह और विंग कमांडर सुनील सिंह रहे मुख्य वक्ता।
- राहुल प्रताप सिंह ने कहा — अब शिक्षा और संगठन ही होंगे समाज की तलवार।
- विशुनपुरा से सैकड़ों कार्यकर्ता पहुंचे, रूपेश सिंह के नेतृत्व में भव्य जुलूस निकला।
- समारोह में जय भवानी, जय श्रीराम, जय महाराणा प्रताप के नारों से गूंजा हॉल।
- 21 दिसंबर को टाउन हॉल में अगला क्षत्रिय सम्मेलन आयोजित करने का हुआ निर्णय।
गढ़वा जिले के बंधन मैरेज हॉल में रविवार को क्षत्रिय गौरव एकता के बैनर तले समाज का ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित हुआ। इस अवसर पर समाज के बुद्धिजीवी, युवा और वरिष्ठ वर्ग एकजुट हुए और यह ठाना कि क्षत्रिय समाज अब केवल इतिहास पर गर्व करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि शिक्षा, संगठन और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से भविष्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएगा। इस सम्मेलन ने न केवल समाज को जोड़ने का काम किया, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए एक नई दिशा तय की।
क्षत्रिय परंपरा का पुनर्जागरण — गिरिनाथ सिंह
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह ने कहा कि क्षत्रिय समाज ने सदियों से धर्म, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा की है। उन्होंने कहा:
गिरिनाथ सिंह ने कहा: “हमारे पूर्वजों ने कभी झुकना नहीं सीखा। अब हमें तलवार की जगह शिक्षा और संगठन को हथियार बनाकर समाज के उत्थान की नई गाथा लिखनी होगी।”
उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब हम इतिहास से प्रेरणा लेकर आधुनिक भारत के क्षत्रिय स्वरूप को शिक्षा और संगठन के माध्यम से पुनः परिभाषित करें।
समाज की ताकत उसकी एकता — प्रवीण सिंह
पूर्व एमएलसी प्रवीण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि क्षत्रिय समाज की सबसे बड़ी पूंजी उसकी एकता है। उन्होंने कहा:
प्रवीण सिंह ने कहा: “हमें अपनी गौरवशाली परंपरा को केवल याद नहीं करना है, बल्कि उसे जीना है। जब युवा वर्ग अपने इतिहास को समझेगा तभी उसका भविष्य उज्जवल होगा।”
उन्होंने समाज के युवाओं से अपील की कि वे शिक्षा और सामाजिक सहयोग को जीवन का आधार बनाएं।
हर सैनिक में होता है एक क्षत्रिय — विंग कमांडर सुनील सिंह
सेवानिवृत्त विंग कमांडर सुनील सिंह, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, ने कहा कि सेना की सीमाओं पर सेवा करते हुए उन्होंने देखा है कि हर सैनिक के भीतर एक क्षत्रिय जागता है। उन्होंने कहा कि अब लड़ाई सीमाओं पर नहीं बल्कि समाज में जागरूकता और एकता की है।
विंग कमांडर सुनील सिंह ने कहा: “हम अन्याय सहन नहीं करते, यह हमारे संस्कार में है। आज का संघर्ष सीमाओं पर नहीं, बल्कि समाज की चेतना और संगठन की मजबूती में है।”
उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि वे अपनी ऊर्जा समाज की दिशा बदलने में लगाएं।
शिक्षा और संगठन बने क्षत्रिय की नई तलवार — राहुल प्रताप सिंह
करनी सेना के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल प्रताप सिंह ने कहा कि क्षत्रिय समाज ने तलवार की नोंक पर इतिहास लिखा, लेकिन अब वही तलवार शिक्षा और जागरूकता के रूप में उठानी होगी।
राहुल प्रताप सिंह ने कहा: “हमें अपनी अगली पीढ़ी को यह सिखाना है कि सम्मान और पराक्रम हमारी पहचान है, अहंकार नहीं।”
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे शिक्षा, अनुशासन और संगठन के माध्यम से समाज की दिशा तय करें।
मंच संचालन और सामाजिक एकता का संदेश — आसुतोष शरण सिंह
कार्यक्रम का संचालन आसुतोष शरण सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय समाज की एकता तभी सशक्त होगी जब युवा अपनी जिम्मेदारी समझे और संगठन से जुड़े। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इतिहास और संस्कारों से जोड़ना ही इस सम्मेलन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।
विशुनपुरा से पहुंचे सैकड़ों कार्यकर्ता — रूपेश सिंह ने दिखाई एकजुटता
क्षत्रिय महासभा बंशीधर इकाई के विशुनपुरा प्रखंड अध्यक्ष रूपेश सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता भव्य जुलूस के रूप में गढ़वा पहुंचे। समाज के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
रूपेश सिंह ने कहा: “यह आयोजन केवल एक समारोह नहीं, बल्कि क्षत्रिय समाज की एकजुटता और आत्मसम्मान का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य समाज को शिक्षा, संगठन और संस्कार के मार्ग पर आगे बढ़ाना है।”
सभा के दौरान जय भवानी, जय श्रीराम, जय महाराणा प्रताप, जय वीर कुंवर सिंह और भारत माता की जय के नारों से पूरा हॉल गूंज उठा। यह माहौल क्षत्रिय शौर्य, राष्ट्रभक्ति और एकता की भावना से भर गया।
आगामी सम्मेलन का ऐलान — संगठन को नई दिशा
सभा के अंत में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 21 दिसंबर को गढ़वा टाउन हॉल में एक और विशाल क्षत्रिय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें समाज के सभी वर्गों को आमंत्रित किया जाएगा ताकि संगठन को और मजबूत दिशा दी जा सके।



न्यूज़ देखो: क्षत्रिय समाज ने दिखाई एकजुटता की नई राह
गढ़वा का यह आयोजन केवल परंपरा का पुनरुद्धार नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की नई शुरुआत है। शिक्षा, संगठन और एकता को आधार बनाकर क्षत्रिय समाज ने यह दिखा दिया कि आधुनिक भारत में सामाजिक उत्थान की राह संस्कारों और शिक्षा से ही निकलेगी। यह सम्मेलन आने वाले दिनों में सामाजिक एकता की मिसाल बन सकता है।
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शिक्षा और संगठन से ही बनेगा नया समाज
गढ़वा के इस सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि सम्मान केवल इतिहास में नहीं, बल्कि कर्म में है। अब वक्त है कि समाज अपनी ऊर्जा शिक्षा, संगठन और सेवा के माध्यम से देश निर्माण में लगाए। हर युवा अपनी भूमिका समझे, समाज को जोड़े और नई दिशा दे। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और जागरूकता के इस आंदोलन का हिस्सा बनें।