
#गिरिडीह #सामाजिक_आंदोलन : कुड़मी समाज की ST दर्जा और कुरमाली भाषा मान्यता की मांग को लेकर पारसनाथ स्टेशन पर रेल ट्रैक जाम
- कुड़मी समाज ने पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर रेल ट्रैक पूरी तरह से जाम कर दिया।
- दिल्ली–भुनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस (22812) को पारसनाथ स्टेशन से पहले चौधरीबांध स्टेशन पर रोक दिया गया।
- ट्रेनों का परिचालन पूरे क्षेत्र में पूर्णतः बाधित रहा।
- आंदोलन का समर्थन बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो और डुमरी विधायक टाइगर जयराम महतो ने किया।
- आंदोलन का उद्देश्य कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करना और कुरमाली भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाना।
गिरिडीह। पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज ने 20 सितंबर को रेल टेका आंदोलन शुरू किया, जिसके कारण रेलवे ट्रैक पूरी तरह से जाम हो गया और क्षेत्रीय ट्रेन संचालन बाधित हो गया। दिल्ली–भुनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 22812 को भी पारसनाथ स्टेशन से पहले चौधरीबांध स्टेशन पर रोकना पड़ा। आंदोलन की मुख्य मांग कुड़मी समाज को ST सूची में शामिल करना और कुरमाली भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाना है।
विधायक समर्थन और आंदोलन की दिशा
इस आंदोलन में बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो मौके पर पहुंचे और कुड़मी समाज के आंदोलन को खुला समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि समाज की मांगों को पूरा कराने के लिए यह आंदोलन पूरी ताक़त से जारी रहेगा। वहीं डुमरी विधायक टाइगर जयराम महतो भी उपस्थित रहे और उन्होंने आंदोलन की वैधता और शांतिपूर्ण तरीके पर जोर दिया।
नागेन्द्र महतो ने कहा: “कुड़मी समाज की मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और यह आंदोलन उनकी आवाज़ को मजबूती से उठाएगा।”
रेल संचालन पर प्रभाव और प्रशासनिक तैयारियां
रेल परिचालन पूरी तरह से बाधित रहने के कारण यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त आरपीएफ और पुलिस बल तैनात किए। स्टेशन पर यात्रियों को बदलते मार्ग और रद्दीकरण की जानकारी प्रदान की जा रही है। अधिकारियों ने आगाह किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए और रेलवे संपत्ति या कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
रेलवे अधिकारी ने कहा: “हम यात्रियों की सुरक्षा और समय पर ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए।”



न्यूज़ देखो: सामाजिक आंदोलन और लोकतांत्रिक आवाज़
पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज का रेल टेका आंदोलन दिखाता है कि समाज अपनी पहचान और अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने के लिए संगठित है। विधायकों का समर्थन इस आंदोलन को और ताक़तवर बनाता है। प्रशासन और समाज के बीच संवाद और शांतिपूर्ण तरीके से मांगों को हल करना ही लोकतंत्र की मजबूत नींव है।
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