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सात वर्षों से अंधेरे में डूबा दुरुप पंचायत का कुटुदिरी गांव, विधिक सेवा प्राधिकार की जनसुनवाई में गूंजा ग्रामीणों का दर्द

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#महुआडांड़ #जनसुनवाई : कैंप में सात साल से बंद बिजली आपूर्ति का मुद्दा प्रमुखता से उठा—ग्रामीणों ने त्वरित कार्रवाई की मांग की।
  • महुआडांड़ प्रखंड के दुरुप पंचायत स्थित कुटुदिरी गांव में जन-सुनवाई कैंप का आयोजन।
  • जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पीएलवी सह अधिकार मित्र इन्द्रनाथ प्रसाद ने सुनी ग्रामीणों की समस्याएं।
  • ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सात वर्षों से गांव में बिजली आपूर्ति पूरी तरह बंद है।
  • बार-बार शिकायतों के बावजूद पंचायत और बिजली विभाग से केवल आश्वासन मिलने का आरोप।
  • ग्रामीणों ने शिवम चौरसिया से गंभीर समस्या पर त्वरित संज्ञान लेने का आग्रह किया।
  • कैंप में मुखिया उषा खलखो, ग्राम प्रधान निर्मल खलखो सहित कई जनप्रतिनिधि और ग्रामीण रहे मौजूद।

महुआडांड़ प्रखंड के दुरुप पंचायत अंतर्गत कुटुदिरी गांव में शुक्रवार को आयोजित जिला विधिक सेवा प्राधिकार की जन-सुनवाई ने वर्षों से उपेक्षित एक गंभीर समस्या को फिर से प्रशासन के सामने ला खड़ा किया। गांव में पिछले सात वर्षों से बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है, जिसके कारण ग्रामीण अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जन-सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने खुलकर अपनी पीड़ा रखी और बताया कि बिजली के अभाव में बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इस कैंप में पीएलवी सह अधिकार मित्र इन्द्रनाथ प्रसाद ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं और कई मामलों में संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

सात वर्षों से बंद बिजली, ग्रामीणों की टूटी उम्मीदें

कुटुदिरी गांव के ग्रामीणों ने जन-सुनवाई के दौरान एक स्वर में बताया कि गांव में पिछले सात सालों से बिजली पूरी तरह बंद है। कभी-कभार शिकायतों के बाद निरीक्षण तो होता है, लेकिन स्थायी समाधान आज तक नहीं निकल पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पंचायत स्तर से लेकर बिजली विभाग के कार्यालय तक कई बार गुहार लगाई, आवेदन दिए और अधिकारियों से मुलाकात भी की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला।

ग्रामीणों ने कहा कि बिजली न होने से शाम ढलते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। मोबाइल चार्ज करना, बच्चों का पढ़ना, बीमारों की देखभाल और छोटे-मोटे रोजगार के साधन सब कुछ प्रभावित हो रहा है। बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब अंधेरे के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

विधिक सेवा प्राधिकार के समक्ष रखी गई मांग

जन-सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के शिवम चौरसिया से विशेष रूप से आग्रह किया कि इस गंभीर समस्या पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल सुविधा का सवाल नहीं, बल्कि उनके मूल अधिकारों से जुड़ा विषय है। वर्षों से बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रहना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।

ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो गांव के लोग सामूहिक रूप से आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि विधिक सेवा प्राधिकार के हस्तक्षेप से इस मामले में ठोस और स्थायी समाधान निकलेगा।

पीएलवी इन्द्रनाथ प्रसाद की भूमिका और आश्वासन

जन-सुनवाई कैंप में उपस्थित पीएलवी सह अधिकार मित्र इन्द्रनाथ प्रसाद ने ग्रामीणों की बातों को गंभीरता से सुना। उन्होंने मौके पर ही संबंधित समस्याओं को दर्ज किया और आश्वस्त किया कि बिजली आपूर्ति से जुड़ी शिकायत को प्राथमिकता के आधार पर उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा।

इन्द्रनाथ प्रसाद ने कहा: “ग्रामीणों की समस्या अत्यंत गंभीर है। सात वर्षों तक बिजली जैसी बुनियादी सुविधा का न होना स्वीकार्य नहीं है। इस मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से संबंधित विभागों तक भेजा जाएगा और समाधान के लिए निरंतर प्रयास किया जाएगा।”

उन्होंने ग्रामीणों को यह भी बताया कि विधिक सेवा प्राधिकार का उद्देश्य ऐसे ही उपेक्षित और वंचित वर्गों की आवाज को प्रशासन तक पहुंचाना है।

जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी से बढ़ी जन-सुनवाई की अहमियत

इस जन-सुनवाई कैंप में कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही, जिससे कार्यक्रम की गंभीरता और प्रभावशीलता और बढ़ गई। कैंप में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे—

  • मार्शेल खलखो
  • केलमेंट खलखो
  • निर्मल खलखो, ग्राम प्रधान
  • अलका कुजूर, वार्ड सदस्य
  • उषा खलखो, मुखिया

इनके अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे और उन्होंने अपनी समस्याएं खुलकर रखीं। जनप्रतिनिधियों ने भी गांव में बिजली आपूर्ति बहाल कराने की मांग का समर्थन किया और कहा कि वे इस मुद्दे को प्रशासनिक स्तर पर लगातार उठाते रहेंगे।

बिजली के अभाव में ठहरा विकास

कुटुदिरी गांव में बिजली न होने का असर केवल घरों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे गांव के विकास पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली के बिना कोई भी सरकारी योजना पूरी तरह सफल नहीं हो सकती। डिजिटल सेवाएं, ऑनलाइन शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं और स्वरोजगार की संभावनाएं सब कुछ बाधित हो रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि कई युवा रोजगार की तलाश में गांव छोड़कर बाहर जाने को मजबूर हो गए हैं। अगर बिजली की सुविधा बहाल हो जाए तो गांव में छोटे उद्योग, सिलाई केंद्र, मोबाइल रिपेयरिंग और अन्य गतिविधियां शुरू हो सकती हैं।

न्यूज़ देखो: अंधेरे में विकास की सच्चाई

कुटुदिरी गांव की स्थिति यह दिखाती है कि आज भी कई ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाएं कागजों तक सीमित हैं। सात वर्षों से बिजली आपूर्ति बंद रहना प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। विधिक सेवा प्राधिकार की जन-सुनवाई ने इस मुद्दे को एक बार फिर सामने लाया है और अब उम्मीद है कि जिम्मेदार विभाग ठोस कदम उठाएंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अधिकारों की आवाज को मजबूत करने का समय

जब गांव की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होतीं, तब चुप रहना समाधान नहीं होता। कुटुदिरी के ग्रामीणों ने अपनी आवाज उठाकर यह साबित किया है कि जागरूकता से ही बदलाव संभव है। अब जरूरत है कि प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए और वर्षों से अंधेरे में जी रहे परिवारों को राहत दे।
आप भी ऐसे मुद्दों पर सजग रहें, अपनी आवाज उठाएं और समाज के हाशिये पर खड़े लोगों का समर्थन करें।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और जिम्मेदार व्यवस्था के लिए जागरूकता की इस मुहिम को आगे बढ़ाएं।

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Ramprawesh Gupta

महुवाडांड, लातेहार

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