Palamau

शीतलहर के बीच गांव संपर्क यात्रा पर उतरेंगे लक्ष्मी नारायण तिवारी, निजी खर्च से जरूरतमंदों को मिलेगा कंबल

#पलामू #सामाजिक_पहल : ठंड से राहत देने और ग्रामीणों से संवाद के उद्देश्य से गांव संपर्क अभियान।

पलामू जिले में शीतलहर और कड़ाके की ठंड के बीच जरूरतमंद परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए झारखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी गांव संपर्क यात्रा पर निकल रहे हैं। यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड से बचाव के लिए कंबल वितरण और जनसंवाद पर केंद्रित है। कार्यक्रम पूरी तरह निजी खर्च से संचालित किया जा रहा है। इससे अति गरीब और जनजातीय समुदायों को सीधी राहत मिलने की उम्मीद है।

Join News देखो WhatsApp Channel
  • झारखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी की गांव संपर्क यात्रा।
  • पलामू जिले के ग्रामीण इलाकों में शीतलहर के बीच राहत का प्रयास।
  • निजी खर्च से कंबल वितरण, कोई सरकारी योजना नहीं।
  • रामगढ़ प्रखंड से अभियान की शुरुआत।
  • उलदंडा और ढुलुआ गांव पहले चरण में शामिल।
  • ग्रामीणों से सीधा संवाद और समस्याओं की जानकारी

पलामू जिले में लगातार बढ़ती ठंड और शीतलहर के बीच गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से झारखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी एक नई पहल के साथ सामने आए हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वे कल से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गांव संपर्क यात्रा पर निकलेंगे। इस यात्रा के दौरान वे गांव-गांव जाकर लोगों से सीधे संवाद करेंगे और ठंड से बचाव के लिए कंबल वितरित करेंगे। यह पहल खास तौर पर उन परिवारों के लिए है, जो आर्थिक तंगी के कारण कड़ाके की ठंड में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

जानकारी के अनुसार, यह पूरा कार्यक्रम किसी सरकारी योजना या फंड से नहीं, बल्कि पूरी तरह लक्ष्मी नारायण तिवारी के निजी खर्च से किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम राजनीतिक औपचारिकता से अधिक सामाजिक जिम्मेदारी के भाव से उठाया गया है। उनका मानना है कि ठंड के मौसम में गरीब, असहाय और जनजातीय समुदायों को राहत पहुंचाना मानवता का कर्तव्य है।

रामगढ़ प्रखंड से होगी अभियान की शुरुआत

गांव संपर्क यात्रा की शुरुआत पलामू जिले के रामगढ़ प्रखंड से की जाएगी। पहले चरण में उलदंडा और ढुलुआ गांवों को चुना गया है, जहां बड़ी संख्या में अति गरीब और जनजातीय परिवार निवास करते हैं। इन गांवों में कंबल वितरण के साथ-साथ स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को भी समझा जाएगा।

लक्ष्मी नारायण तिवारी ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य केवल राहत सामग्री बांटना नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के जीवन से जुड़े मुद्दों को नजदीक से जानना भी है। उन्होंने कहा कि गांवों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी कई समस्याएं हैं, जिन्हें समझने के लिए जमीनी स्तर पर संवाद जरूरी है।

निजी खर्च से सामाजिक जिम्मेदारी

इस अभियान की सबसे अहम बात यह है कि कंबल वितरण पूरी तरह निजी खर्च से किया जा रहा है। लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए आगे आना किसी भी संवेदनशील नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि ठंड के मौसम में कई परिवारों के पास पर्याप्त गर्म कपड़े नहीं होते, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी होती है।

उन्होंने कहा:

लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा: “कड़ाके की ठंड में जरूरतमंदों की मदद करना मानवता का सबसे बड़ा धर्म है। यह पहल किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व के तहत की जा रही है।”

ग्रामीणों से सीधा संवाद

गांव संपर्क यात्रा के दौरान लक्ष्मी नारायण तिवारी ग्रामीणों से सीधे संवाद करेंगे। वे लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनकी जरूरतों को समझने का प्रयास करेंगे। इस संवाद के माध्यम से ग्रामीणों की आवाज को आगे तक पहुंचाने की भी योजना है, ताकि संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की पहल से न केवल ठंड से राहत मिलती है, बल्कि जनप्रतिनिधियों और आम जनता के बीच भरोसा भी मजबूत होता है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस संवाद से उनकी समस्याओं को सही मंच तक पहुंचाया जा सकेगा।

आगे भी जारी रहेगा अभियान

लक्ष्मी नारायण तिवारी ने संकेत दिए हैं कि यह अभियान केवल एक या दो गांवों तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में अन्य प्रखंडों और गांवों में भी इसी तरह की यात्रा और राहत कार्य किए जाएंगे। उनका कहना है कि जब तक ठंड का प्रकोप रहेगा, जरूरतमंदों की मदद का यह सिलसिला जारी रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े ऐसे प्रयास समाज में सकारात्मक माहौल बनाते हैं और लोगों को एक-दूसरे की मदद के लिए प्रेरित करते हैं।

न्यूज़ देखो: सामाजिक जिम्मेदारी की मिसाल

यह पहल दिखाती है कि जनसेवा केवल नीतियों और घोषणाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि जरूरत के समय जमीन पर उतरकर काम करना भी जरूरी है। निजी खर्च से कंबल वितरण यह संदेश देता है कि सामाजिक संवेदनशीलता राजनीति से ऊपर हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड से राहत पहुंचाना तत्काल जरूरत का विषय है। अब देखना होगा कि अन्य जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन भी ऐसी पहल से प्रेरित होते हैं या नहीं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

ठंड में साथ खड़े होने की जरूरत

शीतलहर के इस दौर में जरूरतमंदों की मदद समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। छोटे-छोटे प्रयास भी किसी के लिए बड़ी राहत बन सकते हैं। अगर हर व्यक्ति अपने आसपास के कमजोर वर्ग का ध्यान रखे, तो ठंड का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है। ऐसे अभियानों से समाज में सहयोग और संवेदनशीलता की भावना मजबूत होती है।
आपकी राय क्या है, क्या ऐसे प्रयास और बढ़ने चाहिए? इस खबर को साझा करें, अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में दें और जरूरतमंदों के साथ खड़े होने का संदेश आगे पहुंचाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250925-WA0154
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250604-WA0023 (1)
1000264265
IMG-20250723-WA0070
20251209_155512

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: